कार्तिक मास में तुलसी का पौधा लगाने का विशेष महत्व है | स्कंद पुराण में यह स्पष्ट रूप से बताया गया है कि कार्तिक मास में जो व्यक्ति जितने तुलसी के पौधे रोपता है तो उस व्यक्ति के उतने जन्मों के पाप नष्ट हो जाते है | कार्तिक मास में तुलसी के स्पर्श, दर्शन, आरोपण, सिंचन और ध्यान से जन्म-जन्मांतर के समस्त पाप नष्ट हो जाते है |
जैसा कि हम सब जानते है कि तुलसी समस्त सौभाग्य प्रदान करने वाली और आधि-व्याधि नष्ट करने वाली है | मान्यता है कि इसके बिना किये जाने वाले धार्मिक कर्मकांड पूर्ण फलदायी नहीं होते है | जो दान तुलसी के साथ किया जाता है वो अपार फल प्रदान करने वाला होता है | तुलसी वन की छाया में किये जाने वाले श्राद्ध से पितरों को विशेष ततृप्ति मिलती है | सोमवती अमावस्या के दिन तुलसी के १०८ परिक्रमा करने से दरिद्रता नष्ट होती है |
ब्र्हम्हावैवर्त में तुलसी की महत्वता बताते हुए एक श्लोक है –
सुधाघटसहस्त्रेण सा तुष्टिर्न भवेद्धरे: |
या च तुष्टि भर्नेवेन्नपां तुलसीपत्र दानतः ||
इसका अर्थ यह है कि सहस्त्रों घड़े अमृत से स्नान करने पर भगवान विष्णु उतनी तृप्ति नहीं मिलती, जितनी उन्हें तुलसी के एक पत्ते से प्राप्त होती है | प्रतिदिन तुलसी का एक पत्ता अगर भगवान विष्णु को चढ़ाकर पूजा-अर्चन करने वाले को एक लाख अश्मेघ यज्ञों के बराबर फल प्राप्त होता है | इसी पुराण के एक अन्य श्लोक में कहा गया है कि मृत्यु के समय जिसके मुख में तुलसी के दल का एक कण भी प्रवेश कर जाता है, वह अवश्य ही विष्णु लोक में वास करता है |
तुलसी के पौधे से जुड़ा वैज्ञानिक दृष्टिकोण
अगर हम वैज्ञानिक दृष्टिकोण की बात करें तो इसका बहुत महत्व है | तुलसी का पौधा शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य के लिए अत्यंत लाभदायक होता है | इसके सेवन से बहुत-सी गंभीर बीमारियां दूर हो जाती है | तुलसी दूषित जल के शोधन में भी अत्यंत उपयोगी होती है |