क्या एलियंस ने बनाया था यह शिव मंदिर ? Mysterious Lord Shiva Kailash Temple Aurangabad

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Kailash Temple or Kailasa Temple Aurangabad 

मुंबई से 200 मील north-east दिशा  में औरंगाबाद में  स्थित है एक ऐसा मंदिर जिसने वैज्ञानिको और archeologists की नींद उड़ा रखी है. इस मंदिर की ऊंचाई 100 फीट है जो की एथेंस की एक ईमारत पार्थेनन से दुगनी है. और यह तो कुछ भी नहीं इस मंदिर के ऐसे-ऐसे रहस्य हैं, जिनको जानने के बाद आपको एक भारतीय और हिन्दू होने पर गर्व होगा. आपने इस मंदिर के बारे में बहुत कुछ सुना होगा और देखा भी होगा, लेकिन जो बातें हम आपको बताएँगे वो शायद कोई और न बता पाए|

 

Ajanta Caves and Ellora Caves

दोस्तों हम बात कर रहे हैं, कैलाश मंदिर की , जिसे कैलाशनाथ मंदिर भी कहते हैं. यह मंदिर 32  एल्लोरा गुफाओं में से एक है.   

यह मंदिर दुसरे किसी मंदिर की तरह नहीं जिसे ईंटों और पत्थरों से जोड़ कर बनाया गया हो, इस मंदिर को एक बहुत ही विशाल पहाड़ में तराशा गया है. पूरी दुनिया घूम लो लेकिन ऐसा मंदिर नहीं मिलेगा. वैज्ञानिक मानते हैं, की इस पहाड़ को तराशने में और खोदने में कम से कम 4 लाख टन चट्टान निकली होगी, लेकिन मंदिर के आस पास या दूर-दूर तक इसका कोई सबूत नहीं दिखता. फिर यह कैसे मान लें की इसको मनुष्यों ने बनाया है.  यहाँ तक की कुछ धार्मिक ग्रंथों में यह माना गया है की इस मंदिर को बनाने में 18 साल लगे. अब आप थोड़ा calculation करके सोचिये की 18 साल में 4 लाख टन चट्टान को खोदने और तराशने के लिए उस ज़माने के मजदूरों ने कम से कम 60 टन चट्टान को एक दिन में ही खोदा होगा. और आपको यह बता दूं की ऐसा करना आज के modern technology के दौर में भी संभव नहीं है. और हाँ सिर्फ खोदा ही नहीं बल्कि तराशा भी है.

वैज्ञानिकों की माने तो इस मंदिर को ऊपर से नीचे की ओर तराशा गया है.

 

असंभव काम:

वैज्ञानिक भी यह मान चुके हैं की 18 साल में मनुष्यों के द्वारा यह मंदिर बनाया जाना असंभव था. अगर  आप सोच रहे हैं की यह मंदिर भगवान् ने बनाया होगा ?? तो आप बिकुल गलत हैं. क्योंकि वेद – पुराणों में एक ऐसी मशीन का जिक्र किया गया है, जो चट्टानों को बड़े ही आसानी से काट भी सकती थी और तराश भी सकती थी, और जो बचे हुए चट्टान के टुकड़े होते उनको भाप बना सकती थी. जी हाँ इसी मशीन ने 4 लाख टन चट्टान को भाप बना के उड़ा दिया. इसी कारण से दूर दूर तक कोई भी चट्टान का मलवा दिखाई नहीं देता. इस मशीन का नाम बौमास्त्र है, जिसके सामने आज की so called modern technology कुछ न लगे. इस मशीन का काम करने का तरीका कुछ ऐसा रहा होगा की नक्शा मशीन में डाला और मशीन ने लेज़र लाइट से चट्टान को तराश कर मंदिर बना दिया. अगले पेज में जाने कैसे बनाया गया यह मंदिर|

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कैसे बनाया होगा यह मंदिर ?

पुरे मंदिर को देखने के बाद ऐसा लगता है मानो मंदिर का नक्शा पहले से ही तैयार रहा होगा. क्योंकि मंदिर के अन्दर बहुत से ऐसे विशाल खम्बे हैं जिनको जोड़ते हुए पुल भी बने हैं, मंदिर में बालकनी भी है, मंदिर के नीचे सुरंगों का ऐसा मायाजाल है जहाँ कुछ ही लोग पहुँच पाए हैं. एक विदेशी Researcher ने मंदिर के नीचे बनी सुरंगों के अंतिम छोर तक जाने का दावा किया है. उसने बताया की नीचे एक विशाल कमरा है , जो की एक मंदिर की तरह है, वहां उसने कुल 7 लोगों को देखा जिसमें से 2 लोग कभी दिखते और कभी गायब हो जाते. कुछ लोग यह भी मानते हैं की मंदिर के नीचे पूरा का पूरा शहर हुआ करता था. इन सुरंगों को ध्यान में रखते हुए बहुत से वैज्ञानिकों ने यह दावा किया है की इस मंदिर को ऊपर से नीचे की ओर  नहीं बल्कि नीचे से ऊपर की ओर तराशा गया है.

इन सब बातों को देखने के बाद हम यह तो बोल ही सकते हैं, की यह कैलाश मंदिर एक ऐसी सभ्यता के लोगों के द्वारा बनाया गया होगा जो modern day technology से बहुत आगे रहे होंगे. लेकिन अगर ऐसा होता तो इतिहास में इस तकनीक का कोई तो सुराग मिलता और आज हमारे पास इससे भी अच्छी तकनीक होती, जो की नहीं है. इस लिए हम यह मान सकते हैं की इस मंदिर को धरती के किसी जीव ने नहीं बनाया होगा. तो फिर किसने यह मंदिर किसने बनाया  ??

इस मंदिर की एक और ख़ास बात इसका विशाल आकार है,  जिसके कारण यह आसमान में बहुत उंचाई तक जाने के बाद भी दिखाई देता है. अगर आप google earth में कैलाश मंदिर का aireal view देखेंगे तो आपको साफ़ साफ़ कैलाश  मंदिर दिख जाएगा, साथ ही मंदिर के ऊपर एक X मार्क भी दिखेगा. यह X मार्क एक तरह का सिग्नल हो सकता है उन लोगों के लिए जिन्होंने यह मंदिर हज़ारों साल पहले बनाया होगा| अगले पेज में जाने क्या है रहस्य और किसने बनाया यह मंदिर|

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Aliens की दस्तक:

जिस तरह से इस बात की पुष्टि हो चुकी है की हमारी धरती पर एलियंस आते जाते रहते हैं और हमसे technology में बहुत आगे हैं. तो इस बात की पूरी सम्भावना है की यह मंदिर भी एलियंस ने ही बनाया होगा और मंदिर के नीचे जो अनदेखा और अनछुआ शहर है, उसमे कभी एलियंस रहे भी होंगे.

आप बोलेंगे की मैंने कुछ भी बता दिया!! एलियंस यह तो पॉसिबल ही नहीं है. लेकिन यह सच है और हमारा काम है आप तक अनछुए रहस्य को लाना|        

भगवान शिव तो सम्पूर्ण ब्राम्हाण्ड के स्वामी हैं. हो सकता है हज़ारों साल पहले किसी गृह से एलियंस धरती पर आयें हो, मंदिर बनाया , नीचे शहर बनाया और बहुत सालों तक वहां रहे भी हों. फिर लोगों का आना जाना बढ़ता देख अपने गृह वापस चले गए हों.

इस मंदिर की सही-सही उम्र बता पाना किसी के बस में नहीं. क्योंकि इस मंदिर में चट्टान के सिवा कोई दूसरी निर्माण की वास्तु उपयोग नहीं की गयी है. और अगर आप चट्टान की carbon dating निकालेंगे तो वह चट्टान की उम्र होगी नाकि मंदिर की.

इस मंदिर को क्रूर मुग़ल शाशक औरंगजेब ने पूरी तरह से तहस-नहस करने के लिए अपनी सेना को 3 साल तक लगा के रखा था. मुग़लों की विशाल सेना मिल कर कुछ मूर्तियाँ ही तोड़ पायी और 3 साल के बाद औरंगजेब ने हार मानते हुए अपनी सेना वापस बुला ली.

देवों के देव महादेव का यह मंदिर प्रलय के समय भी ऐसे ही खड़ा रहेगा, दुनिया की कोई ताकत इसे हिला नहीं सकती. आप अपनी राय हमें नीचे कमेंट करके जरुर बताएं.

इस विषय पर हमने एक विडियो भी बनाया है जिसमे मंदिर की कुछ अलौकिक तस्वीरें और दृश्य दिखाए गए हैं, कृपया आप वह विडियो देख कर अपने ज्ञान और इस रहस्य को और भी मज़बूत कर लें| हम अपने YOUTUBE चैनल में ऐसे ही वीडियोस बनाते हैं, कृपया हमारे चैनल को subscribe भी कर लेना|   

 

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