गहनों का महत्त्व |Benefits of Wearing Jwelery
भारतीय संस्कृति में नारी के के गहने पहनने का जो महत्त्व बताया गया है तो क्या उसके पीछे सिर्फ धार्मिक महत्त्व है या फिर इसे जुड़े महत्वपूर्ण वैज्ञानिक तथ्य (Scientific Reason Behind Wearing Ornaments) भी है। आज हम इस लेख में आपको पूर्ण जानकारी से अवगत कराएंगे किआखिर नारी गहने क्यों पहनती है और उसके पीछे क्या महत्वपूर्ण बिंदु है।
“सजना है मुझे सजना के लिए….”

दुनिया में हर जगह, नारियों ने पर्याप्त मात्रा में गहने पहने हैं। चाहे वह हार, कंगन या झुमके के बारे में हो, गहने बेहद लोकप्रिय हैं। तो क्यों कई नारियां दैनिक आधार पर गहने पहनने का विकल्प चुनती हैं और इन सामानों को देखने और महसूस करने के तरीके पर इतना भारी प्रभाव क्यों पड़ता है?
तथ्य यह है कि गहने हमेशा मानव संस्कृतियों का एक महत्वपूर्ण हिस्सा रहे हैं, कई उद्देश्यों की सेवा करते हैं जो हम में से हर एक व्यक्ति के लिए बहुत महत्वपूर्ण हैं।
गहने जैसे सामान अक्सर एक समग्र पोशाक या लुक के लिए “चेरी ऑन टॉप” होते हैं। एक सफल पोशाक सही सामान, गहने के बिना सही मायने में पूरी नहीं होती है। एक “क्लासिक” या “ठाठ” उदाहरण के लिए पूरी तरह से माना जाने के लिए हीरे और मोती की आवश्यकता होती है।
यहां तक कि अगर कोई एक विशेष शैली को व्यक्त करने का प्रयास नहीं कर रहा है, तो सामान अभी भी अभिव्यक्ति के लिए एक बढ़िया विकल्प है।
नारियों के जीवन में गहनों के महत्व को इस तथ्य से समझाया जा सकता है कि नारियों को एक उम्र के बाद से गहने पसंद होते है, इसलिए यह कुछ ऐसा है जो उन्हें विरासत में मिला है। यह गहने के बिना ऐसा है जैसे स्त्री के जीवन में कुछ अधूरापन सा है।
सभी विशेष अवसरों के लिए एक महत्वपूर्ण गहने ही है जो एक महिला के जीवन में महत्त्व रखते है – जैसे शादी, सालगिरह, जन्मदिन की पार्टी, पहले बच्चे का जन्म (कुछ स्थानों पर नारियों को अपने पति से गहने प्राप्त करने के लिए विशेष घटना को चिह्नित करना)। इसलिए, अगर नारियां ऐसे विशेष अवसरों पर गहने नहीं पहनती हैं, तो यह कम से कम अजीब होगा, क्या आप सहमत नहीं हैं? गहने नारियों को एक भव्य, स्त्री रूप देते हैं और उनकी अधिक आत्मविश्वास, शैली और सुंदरता को सामने लाते हैं।
गहने सबसे अच्छे और महंगे उपहारों में से एक है जो एक पति अपनी पत्नी को दे सकता है। विभिन्न प्रकार के गहने होते हैं जिन्हें एक आदमी चुन सकता है, और यह सब बहुत कुछ उस घटना पर निर्भर करता है जिसे वह खुद को उपहार के साथ पेश करना चाहता है और जिस शैली के लिए वह जाना चाहता है और निश्चित रूप से वह कितना धन चाहता है। भुगतान करने के लिए; ज्वेलरी महंगे से सस्ते सामान से भी बनाई जा सकती हैं, इसलिए यह वास्तव में आपके ऊपर है।
हीरा और प्लेटिनम सबसे महंगा है, जबकि चांदी किसी के लिए काफी सस्ती है, जबकि सोना लगभग सभी द्वारा इस्तेमाल किया जाने वाला है।
यूँ तो शादी के बाद पति के लिए सजना सभी नारियों को पसंद होता है। हिंदू विवाह में तो सोलह श्रृंगार की चीजें ही निर्धारित कर दी गई हैं, उन्हें पहनना शुभ माना जाता है। ऋग्वेद में भी सौभाग्य के लिए किए जा रहे सोलह शृंगारों के बारे में बताया गया है, लेकिन क्या आपने कभी इन 16 श्रृंगार के अलावा नारी द्वारा पहने जाने वाले गहनों पर गौर किया है? आज हम आपको उन नारी द्वारा पहने जाने वाले गहनों तथा उनके बारे में बतायेंगे और साथ ही उनके पीछे का वैज्ञानिक तथ्य (Scientific Reason Behind Wearing Ornaments) भी इस लेख में बतायेंगे।
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नारी द्वारा पहने जाने वाले गहनों का क्या है वैज्ञानिक महत्व ? Scientific Reason Behind Wearing Ornaments
जैसा की भारतीय संस्कृति के रीती-रिवाजों में सुहागिन नारियों के सोलह श्रृंगार को काफी महत्व दिया जाता है, जिसे शादी के बाद हर लड़की पूरे मन से मरते दम तक श्रद्धा के साथ निभाती हैं। आइये हम जानते हैं उन्हीं सोलह श्रृंगार में इन नारियों द्वारा पहने जाने वाले कुछ गहनों के महत्व और उनके वैज्ञानिक तथ्यों (Scientific Reason Behind Wearing Ornaments) के बारे में-
1.किसी भी शादी शुदा नारी के लिए उसका मंगलसूत्र सबसे अहम गहना माना जाता है और साथ ही ये काफी अनमोल होता हैं। मंगलसूत्र को उसके सुहाग की सबसे बड़ी निशानी मानी जाता है और सुहागिन नारियों के इस अनमोल गहने के पीछे जो वैज्ञानिक तथ्य शामिल है, वो यह बताता है की इसे अपने गले में डालने से शरीर का ब्लड प्रेशर कंट्रोल में रहता है और दिल से सम्बन्धित भी हर बीमारी दूर रहती है।
2.नारियों के सोलह श्रृंगार में से बिछिया भी एक अहम श्रृंगार माना गया है जो की शरीर में होने वाली कई बीमारियों को दूर करने में काफी सहायक है और इसे पहनने से नर्वस सिस्टम और रिप्रोडक्टिव सिस्टम दोनों ही बिल्कुल दुरुस्त रहते है। बिछिया पहनने का एक लाभ यह भी है की ये ब्लड प्रेशर को नियंत्रित रख मासिक धर्म से जुड़ी समस्याओं से भी छुटकारा दिलाता है।
3. ईयररिंग शादी शुदा नारियां भी पहनती हैं और कुंवारी लड़कियां भी लेकिन हम आपको बता दे की कान में पहनने वाली बाली किस तरह से हमारे शरीर के लिए फायदेमंद साबित होती है। कान में पहनी जाने वाली बाली या ईयररिंग हमारे शरीर में एक्यूपंक्चर का काम करती है साथ ही ये महिलाओं के मासिक धर्म से जुड़ी तमाम समस्याओं से भी छुटकारा दिलाती है और सोचने समझने की शक्ति को भी बढ़ाती है।
4. मांग के बीच में लगाया जाने वाला सिंदूर शरीर के हीट को कंट्रोल करने का काम करता है। इसके साथ ही दिमाग में तनाव के चलते ज्यादा प्रेशर बन जाता है तो उसे भी कंट्रोल में लाने का काम करता है।
5. पायल पहनने से शरीर को भी इसकी खनखनाहट से पॉजिटिव एनर्जी मिलती है। पैरों में चांदी की पायल का महत्व ज्यादा होता है। पुराने जमाने में पायल की झंकार से घर के बुजुर्ग पुरुष सदस्यों को मालूम हो जाता था कि बहू आ रही है और वे उसके रास्ते से हट जाते थे। माना जाता है कि पायल साइटिका में भी राहत दे सकती है, इससे सूजी हुई एड़ियों से राहत मिलती है। यह मोटापे को दूर करने का काम भी करती है।
6. शादी के अवसर पर नव वधू को नथ पहनाई जाती है। ऐसी मान्यता है कि सुहागिन नारी के नथ पहनने से पति के स्वास्थ्य और धन-धान्य में वृद्धि होती है। कहते हैं, नथ पहनने का सीधा संबंध महिला के गर्भाशय से होता है। नाक की कुछ नसें गर्भ से जुड़ी होती हैं जिसके कारण डिलीवरी के समय कम दर्द सहना पड़ता है।
7. बाजूबंद, ये बांह के ऊपरी हिस्से में पहने जाने वाला गहना है। बाजूबंद सोने, चांदी, कुंदन या अन्य मूल्यवान धातु या पत्थर से बना होता है। पहले सुहागिन नारियों के लिए बाजूबंद हमेशा पहने रहना अनिवार्य होता था और यह सांप की आकृति में होता था। ऐसी मान्यता है कि नारियों के बाजूबंद पहनने से परिवार के धन की रक्षा होती है। बाजूबंद बाजू पर सही मात्रा में दबाव डालकर रक्तसंचार बढ़ाने में सहायता करता है।
8. चूड़ियां हर सुहागन का सबसे महत्वपूर्ण शृंगार हैं। नारियों के लिए कांच, लाक, सोने, चांदी की चूड़ियां सबसे महत्वपूर्ण मानी गई हैं। चूड़ियां पति-पत्नी के भाग्य और संपन्नता की प्रतीक हैं। चूड़ियों का संबंध चंद्रमा से भी माना जाता है। माना जाता है कि चूड़ियां नारियों के ब्लड प्रेशर को ठीक रखने में भी सहायक होती हैं।
9. शादी से ठीक चंद रोज पहले सगाई की एक रस्म की जाती है। जिसमें वर-वधू एक-दूसरे को अंगूठी पहनाते हैं। अंगूठी पहनाने का उल्लेख प्राचीन धर्म ग्रंथ रामायण में भी है। अंगूठी को सदियों से पति-पत्नी के आपसी प्यार और विश्वास का प्रतीक माना जाता रहा है। अंगूठी पति-पत्नी के प्रेम की प्रतीक होती है, इसे पहनने से पति-पत्नी के हृदय में एक-दूसरे के लिए प्रेम सदैव बना रहता है। अनामिका उंगली की नसें सीधे दिल और दिमाग से जुड़ी होती हैं, इन पर प्रेशर पड़ने से दिल व दिमाग स्वस्थ रहता है।
10. कमरबंद, धातु व अलग-अलग तरह के मूल्यवान पत्थरों से मिलकर बना होता है। कमरबंद नाभि के ऊपरी हिस्से में बांधा जाता है। इससे नारी की काया और भी आकर्षक दिखाई पड़ती है। कमरबंद इस बात का प्रतीक है कि सुहागन अब अपने घर की स्वामिनी यानी मालकिन है। माना जाता है कि चांदी का कमरबंद पहनने से नारियों को माहवारी और गर्भावस्था में होने वाले सभी तरह के दर्द से राहत मिलती है।
ये थे भारतीय परंपरा में पहने जाने वाले गहनों के आध्यात्मिक एवं वैज्ञानिक (Scientific Reason Behind Wearing Ornaments) महत्त्व। इसे अपने प्रियजनों के साथ शेयर करें और उन्हें भी भारतीय संस्कृति के महत्त्व के बारे में बताएं।
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