संकष्टी चतुर्थी व्रत में श्री गणेश, चन्द्रमा और चतुर्थी तिथि को अर्घ्य देने का मंत्र (बिना अर्घ्य दिए नहीं मिलेगा व्रत का फल)

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जय श्री गणेश

संकष्टी चतुर्थी व्रत/संकट चतुर्थी व्रत|Sankashti Chaturthi Vrat

संकष्टी चतुर्थी हर महीने की कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को मनाई जाती है, इस दिन भगवान् गणेश को चद्रोदय के बाद अर्घ्य देने का विशेष नियम है| गणेश भगवान के साथ साथ चन्द्रमा और चतुर्थी तिथि को भी अर्घ्य देने का नियम शास्त्र वर्णित है, ऐसा माना जाता है की चतुर्थी तिथि भगवान गणेश की सबसे प्रिय तिथि है, इसलिए भगवान गणेश और चन्द्रमा के साथ-साथ चतुर्थी तिथि को भी अर्घ्य देना चाहिए, जो भी संकष्टी चतुर्थी के इस व्रत को पूरे नियम के साथ करता है उसके सभी विघ्न विघ्नहर्ता गणेश जी हर लेते हैं|

हिन्दू केलिन्डर के हिसाब से अलग-अलग महीनों में पड़ने वाली संकष्टी चतुर्थियों को अलग-अलग नामो से जाना जाता है| पूर्णिमा के बाद की चतुर्थी को संकष्टी चतुर्थी कहा जाता है और अमावास के बाद की चतुर्थी को विनायक चतुर्थी कहा जाता है| हिन्दू केलिन्डर के हिसाब से एक साल में 12 से 13 संकष्टी चतुर्थी व्रत होते हैं|इस लेख में हम जानेंगे की हर संकष्टी चतुर्थी के व्रत के दिन किस प्रकार से पूजा अर्चना करनी है और भगवान गणेश को अर्घ्य देते समय कौन सा मन्त्र बोलना है?

संकष्टी चतुर्थी व्रत पूजा विधि: Sankashti Chaturthi Vrat Puja Vidhi

संकट चतुर्थी के व्रत के दिन सुबह स्नान आदि से निवृत होने के बाद भगवान गणेश को दूर्वा और पीले फूल अर्पित करें और गणेश जी के किसी मन्त्र या स्तोत्र का पाठ करें, इसके बाद शाम के समय चंद्रोदय होने से एक घंटा पहले से भगवान गणेश की प्रतिमा की पूजा अर्चना करना चालू कर दें (भगवान गणेश की पंचोपचार या षोडशोपचार विधि से पूजा कर सकते हैं), पूजन में भगवान गणेश को मोदक का नैवेद्य अर्पित करें|

(पंचोपचार पूजन और षोडशोपचार पूजन कैसे करना है? ये जानने के लिए यहाँ क्लिक करें)

अर्घ्य कैसे देना है? How to Offer Arghy to God Ganesha

भगवान गणपति के पूजन के बाद चंद्रोदय होने के बाद भगवान गणेश को अर्घ्य देना चाहिए, अर्घ्य देने के लिए आचमनी में जल लेकर गणेश भगवान की प्रतिमा के सामने अर्पित करना होता है| सबसे पहले आचमनी में जल लेलें और नीचे दिए हुए मंत्र का जाप करें और जल गणेश जी की प्रतिमा के सामने अर्पित करें| हम मंत्र के साथ उसका हिन्दू अनुवाद भी बता रहे हैं अगर संस्कृत मंत्र पढ़ने में समस्या हो तो हिंदी अनुवाद को बोलें और अर्घ्य अर्पित करें|

आचमनी

गणपति अर्घ्य मंत्र| God Ganesha Arghy Mantra

ॐ गणेशाय नमस्तुभ्यं सर्व सिद्धिप्रदायक |

संकष्टहर में देव गृहाणार्घ्यं नमोस्तुते ||

“ॐ संकष्टहरणगणपतये नमः”

हिंदी अनुवाद – हे समस्त सिद्धियों को प्रदान करने वाले भगवान गणपति आपको मेरा नमस्कार है, संकटों को हरण करने वाले गणेश जी आपको मेरा नमश्कार है, आप मेरा ये अर्घ्य ग्रहण करें आपको मेरा नमश्कार है, हे संकटहरण करने वाले प्रभु विनायक आपको मेरा नमश्कार है|

गणेश जी को अर्घ्य देने के बाद चतुर्थी तिथि को भी इसी प्रकार अर्घ्य देना है, इसके लिए आचमनी में जल लेकर चतुर्थी तिथि अर्घ्य मंत्र का उच्चारण करें|

चतुर्थी तिथी अर्घ्य मंत्र|Chaturthi tithi arghy mantra

तिथीनामुत्तमे देवि गणेशप्रियवल्लभे |

सर्वसंकटनाशाय गृहाणार्घ्यं नमोस्तुते ||

“ॐ  चतुर्थ्यै नमः”

हिंदी अनुवाद – हे तिथियों में उत्तम भगवान गणपति को प्रिय देवी उत्तम तिथि आपको मेरा नमश्कार है, आप मेरे समस्त संकटों को नष्ट करने के लिए अर्घ्य ग्रहण करें|

इसके बाद चंद्र देव को भी इसी प्रकार आचमनी में जल लेकर चाँद की तरफ मुँह करके अर्घ्य देना है|      

चंद्र अर्घ्य मंत्र| Chandra dev Arghy Mantra

ॐ गगनार्णवमाणिक्य चंद्र दाक्षायणीपते |

गृहाणार्घ्यं मया दत्तं गणेशप्रतिरूपक ||

“ॐ चन्द्राय नमः”

हिंदी अनुवाद – हे गगन रूपी समुद्र के माणिक्य, दक्ष कन्या रोहिणी के प्रियतम पति और गणेश के प्रतिरूप चन्द्रमा आप मेरा दिया हुआ ये अर्घ्य स्वीकार करें और मेरे सभी संकटों का विनाश करें

संकट चतुर्थी व्रत में अर्घ्य देने का ये नियम अनिवार्य है , बिना अर्घ्य के संकट चतुर्थी का ये व्रत सफल नहीं माना जाता, हर महीने आने वाले संकट चतुर्थी के व्रतों में ऐसा किया जाना चाहिए, अगर आपने व्रत किया और अर्घ्य नहीं दिया तो व्रत का फल आपको नहीं मिलेगा इसलिए इस बात का ध्यान रखें|

दोस्तों पूजा पाठ की विधि और धार्मिक मन्त्रों को आसान बना कर आप तक लाने की हमारी कोशिश आपको कैसी लगी कमेंट करके जरूर बताएं

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