रामायण से जुड़ा ऐसा राज जो हर कोई जानना चाहेगा | Unknown Facts Of Ramayan

0
5849

ramayan

कब लिखी गयी पहली रामायण ? किसने लिखी पहली रामायण ? Hidden Facts Of Ramayan.

यह सवाल जितना मुश्किल है उतना ही आसान है इसका जवाब | हम आपको इसका उत्तर सटीक और कम से कम शब्दों में देंगे | कहते हैं हरि अनंत, हरि कथा अनंता | शायद आपको लगता होगा कि रामायण एक ही है परन्तु ऐसा नहीं है | हमारे शोध के अनुसार एक नहीं बल्कि बहुत सारी रामायण हैं जिनको अलग-अलग ऋषियों, साधू-संतों महापुरुषों व कवियों द्वारा लिखा गया या अनुवादित किया गया है | जनश्रुतियों और मान्यताओं के अनुसार सर्वप्रथम महादेव शंकर ने रामकथा माता पार्वती को सुनाई जिसे कागभुशुण्डि नाम के एक कौवे ने सुन लिया और अगले जन्म में उन्होंने यह कथा अपने शिष्यों को सुनाई । इस प्रकार रामकथा का प्रचार-प्रसार हुआ। भगवान शंकर के मुख से निकली यही पवित्र श्रीरामकथा “अध्यात्म रामायण” के नाम से विख्यात हुई । एक अन्य कथानुसार सर्वप्रथम हनुमानजी ने एक शिला पर रामकथा  लिखी थी । यह रामकथा वाल्मीकिजी की रामायण से भी पहले लिखी गई थी और ‘हनुमन्नाटक’ के नाम से प्रसिद्ध है। वैदिक साहित्य के बाद जो रामकथाएं लिखी गईं, उनमें वाल्मीकि रामायण सर्वोपरि है। यह इसी कल्प की कथा है और यही प्रामाणिक है।

ramayan

कहते हैं महर्षि वाल्मीकि और राजा राम समकालीन थे । उन्होंने श्री राम के जीवन को देखा था । वे जानते थे कि राम क्या और कौन हैं ? लेकिन लिखने का प्रश्न आया, तब नारद मुनि ने उनकी सहायता की | रामायण के बाद राम से जुड़ी हजारों कथाएं प्रचलित हुईं और सभी में राम की कथा में थोड़े-बहुत रद्दोबदल के साथ ही कुछ रामायणों में ऐसे भी प्रसंग मिले जिनका उल्लेख वाल्मीकि रामायण में नहीं मिलता है। वाल्मीकि के बाद रामकथा को दक्षिण भारतीय लोगों ने अलग तरह से लिखा। दक्षिण भारतीय लोगों के जीवन में राम का बड़ा महत्त्व है । कर्नाटक में राम ने अपनी सेना का गठन किया था और तमिलनाडु में रामेश्वरम् ज्योतिर्लिंग की स्थापना की थी । जहाँ एक ओर वाल्मीकि रामायण को तथ्यों और घटनाओं के आधार पर लिखा गया था, वहीँ अन्य रामायण को श्रुति के आधार पर लिखा गया था | जैसे बुद्ध ने अपने पूर्व जन्मों का वृत्तांत कहते हुए अपने शिष्यों को रामकथा सुनाई | इसी तरह जनश्रुतियों के आधार पर हर देश ने अपनी रामायण को लिखा।

ramayan

 

जैसा कि हम सभी जानते हैं कि रामायण की सबसे पहली रचना महर्षि वाल्मीकिजी द्वारा ही की गयी थी | तकरीबन तीन हज़ार साल पहले उन्होंने यह महाकाव्य संस्कृत में लिखा था | ऐतिहासिक  तथ्यों की मानें तो महर्षि वाल्मीकि ने इस अद्भुत ग्रन्थ की रचना बारहवीं सदी ई.पू. (1200 B.C.) में की थी | निश्चित ही इसीलिए महर्षि वाल्मीकि को आदि कवि भी कहा जाता है | उन्होंने अपने इस महाकाव्य में अयोध्यनारेश रघुवंशी दशरथ और कौशल्या के पुत्र राम जैसे एक ऐसे मर्यादा पुरुषोत्तम की जीवन गाथा लिखी जो उनके बाद के आने वाले कवियों, ऋषि-मुनियों, साधू-संतों और महापुरुषों के ramayanलिये प्रेरणा का स्रोत बनी | इसके बाद हर कालखंड में भिन्न-भिन्न कवियों द्वारा भिन्न-भिन्न भाषाओं में रामायण की रचना या अनुवाद हुआ | जबकि वाल्मीकि रामायण के सिर्फ 6 ही कांड थे और उत्तरकांड का वाल्मीकि रामायण से कोई संबंध नहीं है । इसी तरह जनश्रुतियों के आधार पर हर देश ने अपनी रामायण को लिखा। रामकथा सामान्यतः बताने के लिए सुनाई जाती है।

ramayan

साहित्यकारों और कवियों ने रामायण को और रोचक बनाने के लिए कथा को एक अलग रूप और रंग से सज्जित किया परन्तु उनकी मूलकथा के साथ कोई छेड़छाड़ नहीं की । जहाँ एक ओर शास्त्रीय तथा लोक परंपरा दोनों के ही अनुसार राम और रावण की कथा को श्रृंगारिक बनाया गया, वहीँ नृत्य-नाटिकाओं के अनुसार भी कथाएं लिखी गईं और इस तरह रामायणों की संख्या और भी बढ़ती गयी । सदियों के सफर के दौरान इनमें निश्चित ही कुछ बदलाव हुआ । लेकिन शायद इसी कारण कुछ लोग इसे महज काव्य मानने की भूल या पाप करते हैं। दक्षिण और दक्षिण-पूर्व एशियाई देश जैसे कि – दक्षिण भारत, श्रीलंका, इंडोनेशिया, मलेशिया, माली आदि द्वीप राष्ट्रों की संस्कृतियों में राम और रावण के युद्ध को अलग संदर्भों में लिया गया। यहाँ रावण का बहुत सम्मान और ख्याति थी | इसलिए इन देशों में रामकथा को अलग तरीके से लिखा गया। वाल्मीकिजी ने राम से संबंधित घटनाचक्र को अपने जीवनकाल में स्वयं देखा या सुना था इसलिए उनकी रामायण सत्य के काफी निकट है |

विभिन्न रामायणों का रहस्य जानने के लिए नीचे नेक्स्ट बटन पर क्लिक करें |

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here