माँ महागौरी की पूजा विधि
महागौरी की पूजा करते समय जहाँ तक हो सके गुलाबी रंग के वस्त्र पहनने चाहिए| गुलाबी रंग प्रेम का प्रतीक है। महागौरी गृहस्थ आश्रम की देवी हैं । एक परिवार को प्रेम के धागों से ही गूँथकर रखा जा सकता है इसलिए आज के दिन गुलाबी रंग पहनना शुभ रहता है। माँ शक्ति के इस स्वरूप की पूजा में नारियल, हलवा, पूड़ी और सब्जी का भोग लगाया जाता है। आज के दिन काले चने का प्रसाद विशेष रूप से बनाया जाता है। महगौरी पूजन करते समय इस मंत्र से देवी का ध्यान करना चाहिए।
माँ महागौरी ध्यान मंत्र
श्वेते वृषे समारुढा श्वेताम्बरधरा शुचिः।
महागौरी शुभं दघान्महादेवप्रमोददा।।
महागौरी उपासना मंत्र
या देवी सर्वभूतेषु माँ गौरी रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:।।
वैसे तो नवरात्रि के नौ दिनों तक कुंवारी कन्याओं को भोजन करवाने का विधान है लेकिन अष्टमी के दिन का विशेष महत्व है | पूजन के पश्चात कुंवारी कन्याओं को भोजन कराने और उनका पूजन करने से माँ की विशेष कृपा प्राप्त होती है। महागौरी माता अन्नपूर्णा स्वरूप भी हैं इसलिए कन्याओं को भोजन कराने और उनका पूजन-सम्मान करने से धन, वैभव और सुख-शांति की प्राप्ति होती है।
माँ महागौरी की पूजा का महत्व
मां दुर्गा की अष्टम शक्ति हैं महागौरी, जिनकी आराधना से भक्तों को जीवन की सही राह का ज्ञान होता है, जिस पर चलकर वह अपने जीवन को सार्थक बना सकता है | कहा जाता है माँ महागौरी अपने भक्तों को अनेक कष्टो से मुक्त करने वाली माता हैं | महागौरी की उपासना से पूर्वसंचित पाप नष्ट हो जाते हैं | माँ व्यक्ति के भीतर पल रहे कुत्सित व मलिन विचारों को समाप्त कर प्रज्ञा और ज्ञान की ज्योति जलाती हैं | माँ का ध्यान करने से व्यक्ति को आत्मिक ज्ञान की अनुभूति होती है उसके भीतर श्रद्धा, विश्वास व निष्ठा की भावना बढ़ती है | इस दिन माँ की पूजा विधि-विधान के साथ करने से सभी परेशानियों से मुक्ति मिल जाती है।
माना जाता है कि माता सीता ने श्रीराम को पाने के लिए की महागौरी की पूजा की थी | अगर किसी की शादी होने में किसी भी तरह की रुकावट आ रही है, तो इस दिन उन लोगों को जरुर पूजा करनी चाहिए। इनकी पूजा करने से शादी-विवाह के कार्यों में आ रही बाधा खत्म हो जाती है | कहा जाता है कि विवाह संबंधी तमाम बाधाओं के निवारण में इनकी पूजा अचूक होती है |
मां की पूजा करने से मनचाहे जीवनसाथी की प्राप्ति होती है। मां महागौरी के प्रसन्न होने पर भक्तों को सभी सुख स्वत: ही प्राप्त हो जाते हैं। साथ ही इनकी भक्ति से हमें मन की शांति भी मिलती है। मां की उपासना से तप, त्याग, वैराग्य, सदाचार, संयम की वृद्धि होती है |
माँ आप सबको जीवन में सुख, शांति एवं सम्रद्धि प्रदान करे |
जय माता दी ||
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