माँ ब्रम्हाचारिणी को करें इस तरह प्रसन्न और पाएं जीवन में सुख, समृद्धि एवं धन |

0
2447

माँ दुर्गा का द्वितीय स्वरूप – माँ ब्रम्हाचारिणी

navratri-maa-brahmacharini-hindi

 

देवी माँ के हर रूप की अपनी अलग ही महिमा है | इसलिए हम नवरात्री के नौ दिनों में माँ के अलग अलग रूपों की पूजा-उपासना करते हैं | नवरात्रि के दुसरे दिन माँ ब्रम्हाचारिणी की उपासना का विधान है | यह माँ दुर्गा का द्वितीय स्वरूप है| माँ दुर्गा का यह दूसरा रूप भक्तों एवं सिद्धों को अमोघ फल देने वाला है | माँ ब्रम्हाचारिणी ने भगवान शंकर को पति रूप में प्राप्त करने के लिए घोर तपस्या की थी। इसी  कठिन तपस्या के कारण इन देवी को तपश्चारिणी अर्थात्‌ ब्रह्मचारिणी नाम से अभिहित किया (ब्रम्ह-तप, तपस्या अचारिणी-आचरण करने वाली ) |  यहाँ ब्रम्ह का अर्थ तप अथवा तपस्या से है | देवी का यह रूप पूर्ण ज्योतिर्मय एवं अत्यंत भव्य है।

माँ ब्रम्हचारिणी धवल वस्त्र धारण किये हुए रहती हैं | यह देवी अपने दाएं हाथ में अष्टदल अक्षमाला (जप माला ) और बाएं हाथ में कमण्डल धारण किए हुए हैं । देवी ब्रम्हाचारिणी शांत और निमग्न होकर तप में लीन रहती हैं | इनके मुख पर कठिन तपस्या के कारण अद्भुत तेज और कांति का ऐसा अनूठा संगम रहता है जो तीनों लोको को आलोकित करता है | माँ ब्रह्मचारिणी साक्षात परम  ब्रह्म का स्वरूप हैं अर्थात तपस्या का मूर्तिमान रूप हैं |

माँ ब्रम्हाचारिणी के कई  अन्य नाम हैं जैसे तपश्चारिणी, अपर्णा और उमा | माँ ब्रम्हाचारिणी की उपासना से मनुष्य में त्याग, तपस्या, वैराग्य, संयम व सदाचार की वृद्धि होती है | जीवन के कठिनतम संघर्षों में भी उसका मन कर्तव्य-पथ से विचलित नहीं होता | माँ ब्रम्हाचारिणी की कृपा से उसे सर्वत्र यश, कीर्ति, और विजय की प्राप्ति होती है | कुण्डली जागरण के साधक इस दिन स्वाधिष्ठान चक्र को जाग्रत करने की साधना करते हैं | माँ ब्रम्हाचारिणी की उपासना करने का मंत्र बहुत ही सरल है, माँ जगदम्बा की भक्ति पाने के लिए नवरात्री के दुसरे दिन इस मंत्र का जाप करना चाहिए |

मंत्र इस प्रकार है : –

या देवी सर्व भूतेषु माँ ब्रम्हाचारिणी रूपेण संस्थिता |

नमस्तस्यै   नमस्तस्यै  नमस्तस्यै  नमो  नमः  ||

माँ दुर्गा के स्वरुप ब्रम्हाचारिणी की पूजन विधि

navratri-maa-brahmacharini-pooja-vidhi

माँ ब्रम्हाचारिणी की पूजा-उपासना के समय पीत (पीले ) या श्वेत (सफ़ेद ) स्वच्छ वस्त्र पहने | माँ को सफ़ेद वस्तुएं ही अर्पित करें जैसे की शक्कर, मिश्री या पंचामृत | माँ को चीनी आदि का भोग लगाकर ब्राह्मण को भी दान में शक्कर ही दें | माँ ब्रम्हाचारिणी की तस्वीर/प्रतिमा के सामने आसन पर विराजमान हो कर निम्न मंत्र का जाप १०८ बार करें |

ध्यान मंत्र-

” दधाना करपद्माभ्यामक्षमालाकमण्डलू।

देवी प्रसीदतु मयि ब्रह्मचारिण्यनुत्तमा॥ ”

माँ ब्रम्हाचारिणी की पूजा-उपासना करने से कुण्डली में विराजमान बुरे ग्रहों की दशा सुधरती है और व्यक्ति के दिन शुभ होते हैं | यही नहीं माँ की पूजा से स्वयं महादेव भी प्रसन्न होकर मनचाहा वरदान देते हैं |

कैसे हुआ माँ का नाम ब्रम्हाचारिणी जानने के लिए नीचे नेक्स्ट बटन पर क्लिक करें 

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here