नवरात्रि से सम्बंधित दैवीय शक्तियों का महत्व एवं वैज्ञानिक तथ्य |

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नवरात्रि का महत्व |

नवरात्रि, नवरात्रा या कहें नौ रातें ; ये नौ रातें और दस दिन  जिनमें आदि शक्ति/ देवी माँ की पूजा होती है | नवरात्र शब्‍द से  “नव अहोरात्रों  यानी विशेष रात्रियों का बोध होता है और इस समय शक्ति के नौ रूपों की उपासना की जाती है। इन रात्रियों को सिद्ध रात्रियों के रूप में भी जाना जाता है, क्‍योंकि भारतीय तंत्र शास्‍त्र के अनुसार रात्रि शब्‍द सिद्धि का प्रतीक है और मान्‍यता ये है कि इन रात्रियों में तंत्र-मंत्र की साधना करने पर अन्‍य दिनों की तुलना में अधिक व शीघ्र  सिद्धियां प्राप्‍त हो जाती हैं, इसलिए नवरात्रि की ये अवधि तंत्र-मंत्र साधनाओं के लिए भी विशेष रूप से उपयोगी व बलशाली मानी गई हैं।

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भारतीय संस्‍कृति में शक्ति की उपासना माँ के रूप में की जाती है और माना जाता है, कि सम्‍पूर्ण संसार की उत्पत्ति का मूल कारण शक्ति ही है जिसे ब्रम्‍हा, विष्‍णु व शिव तीनों ने मिलकर मां नवदुर्गा के रूप में सृजित किया है, इसलिए मां दुर्गा में वास्‍तव में ब्रम्‍हा, विष्‍णु व शिव तीनों की शक्तियां हैं | अत: नवरात्रि के दौरान मां दुर्गा की आराधना, उपासना, पूजा-पाठ आदि करने से ब्रम्‍हा, विष्‍णु व परम  शिव, तीनों की आराधना हो जाती है, इसीलिए नवरात्रि के दौरान लगातार नौ रात्रियों तक मां दुर्गा के विभिन्‍न रूपों की विभिन्‍न विधियों से उपासना की जाती है।

भारतीय संस्‍कृति के अनुसार दुर्गा का अर्थ “जीवन के  दु:ख कॊ दूर करने वाली” होता है और नवरात्रि के दौरान देवी दुर्गा के नौ दिव्‍य रूपों की पूजा-अर्चना, उपासना व आराधना आदि की जाती है। मां दुर्गा के नौ दिव्‍य रूपों का नाम व संक्षिप्‍त वर्णन निम्‍नानुसार हैं:-

  • शैलपुत्री– हिमालय की पुत्री।
  • ब्रह्मचारिणी– ब्रह्मचर्यं एवं कठिन तप का पालन करने वाली।
  • चंद्रघंटा– अर्ध चन्द्र को अपने मस्तिष्क में धारण करने वाली।
  • कूष्माण्डा– जिनकी मंद-मंद मुस्कान से जगत की उत्पत्ति हुई।
  • स्कंदमाता– कार्तिक स्वामी की माता।
  • कात्यायनी– कात्यायन आश्रम में जन्‍मी।
  • कालरात्रि– काल का नाश करने वाली।
  • महागौरी–  श्वेत वर्ण वाली मां।
  • सिद्धिदात्री– सर्व सिद्धि देने वाली।

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नवरात्रि का त्‍यौहार मूलत: मां दुर्गा के तीन मुख्‍य रूपों पार्वती, लक्ष्‍मी और सरस्‍वती को समर्पित किया गया है और इन तीनों देवियों को नवरात्रि के तीन-तीन दिन के समूहों में विभाजित किया गया है।

नवरात्रि के प्रथम तीन दिन के समूह को देवी पार्वती को समर्पित किया गया हैं, जो कि शक्ति और ऊर्जा की देवी हैं | मान्‍यता ये है कि, मां दुर्गा के इन तीन दिनों की आराधना से मनुष्‍यों को शक्ति व उर्जा की प्राप्ति होती है, जिससे वे अपने जीवन में मनचाहे कार्यों में सफलता प्राप्‍त करते हैं।

नवरात्रि के अगले तीन दिन के समूह को देवी लक्ष्‍मी को समर्पित किया गया है, जो कि धन और समृद्धि की देवी है | मान्‍यता ये है कि मां दुर्गा के इन तीन दिनों की पूजा-अर्चना व आराधना से घर में कभी भी धन व समृद्धि की कमी नहीं होती। जबकि नवरात्रि के अंतिम तीन दिनों के समूह को देवी सरस्‍वती को समर्पित किया गया है | मान्‍यता ये है कि मां दुर्गा के इन तीन दिनों में की गई आराधना से भौतिक व अध्‍यात्मिक ज्ञान की प्राप्ति होती है, जो कि जीवन को उचित दिशा में ले जाने में सहायक होती हैं।

नवरात्रि के अन्तिम तीन दिनों को मां सरस्‍वती को इसीलिए समर्पित किया गया है ताकि पहले तीन दिनों में प्राप्‍त होने वाली उर्जा व शक्ति तथा अगले तीन दिनों में प्राप्‍त होने वाली धन व समृद्धि को न्‍यायपूर्ण तरीके से केवल ज्ञान द्वारा ही नियंत्रण में रखा जा सके | हिन्‍दु धर्म के अनुसार मां सरस्‍वती, ज्ञान की देवी हैं

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