About Mahabharat Katha| महाभारत

वो युद्ध जो भारत के इतिहास का सबसे बड़ा युद्ध था जिसे हम महाभारत (Mahabharat Katha) के नाम से जानते है । महाभारत कुरुक्षेत्र मे हुआ, जिसकी गाथा से हर व्यक्ति भलीभांति वाक़िफ़ है । पांडवो और कौरवों के बीच ये एक विनाशकारी युद्ध था और लम्बें समय तक चलने के बाद अंत मे पांडवो ने कौरवों के ऊपर विजय प्राप्त की । हम सब इस कहानी को तो अच्छी तरह जानते है लेकिन इस पहलू के अलावा कहानी का दूसरा एक और पहलू है जिसे शायद हम मे से कोई नहीं जानता और वो है भगवान शिव जी के द्वारा दिया हुआ पांडवों को श्राप। जिस श्राप के चलते पांडवो को कलयुग मे लेना पड़ा जन्म।
पांडवो के कलयुग मे होने वाले जन्म की क्या है कहानी?
कहानी कुछ इस प्रकार है, अश्वथामा जो कि द्रोणाचार्य के पुत्र व कौरवों के मित्र थे । युद्ध के अंत मे एक अश्वथामा ही थे जो कौरवों के ओर से सबसे शक्तिशाली योद्धा हुए जो जीवित बचे थे और मरते वक्त दूर्योधन ने अश्वथामा से वचन मांगा था कि वो पांडवो के कुल का अंत करें । अपने मित्र की आखरी इच्छा को अन्जाम देने के लिए अश्वथामा , कृतवर्मा और कृपाचार्य ये सब आधी रात को पांडवो के शिविर की तरफ गए |
परंतु पांडवों के शिविर मे घुसना बहुत ही कठिन कार्य था इस कार्य को अंजाम देने के लिए इन सब ने शिव जी की आराधना की जिससे प्रसन्न होकर भगवान शिव ने इन्हें प्रवेश करने की आज्ञा दे दी। शिविर मे घुसते ही इन्होंने पांडवो की खोज शुरू कर दी लेकिन पाँचो पांडवो मे से एक भी शिविर मे उपस्थित नहीं थे परंतु इनके पुत्र वहाँ उपस्थित थे |अश्वथामा ने बिना कुछ सोचे समझे पांडवो के पुत्रों का वध कर दिया और फिर वहाँ से दबे पांव निकल गए।

जब इस घटना का पता पांडवो को चला तो पांडव अत्यंत क्रोधित हो गए और सारी घटना का जिम्मेदार भगवान शिव जी को ठहरा दिया। पांडव इस बात से ख़फ़ा शिव जी से युद्ध करने चले गए परन्तु जैसे ही वे शिव जी के समीप पहुँचे उन सबके अस्त्र शस्त्र शिव जी के अंदर समा गए, शिव जी इस बात से क्रोधित हो उठे और पांडवो को इसका खामयाजा भुगतना पड़ा श्राप के रूप मे । शिव जी ने पांडवो को श्राप दिया कहा कि तुम सब कृष्ण जी के प्रिय हो इसलिए तुम्हें इसका ढंड इस जन्म मे तो नहीं मिलेगा लेकिन तुम्हे कलयुग मे फ़िरसे जन्म लेकर ढंड भुगतना पड़ेगा।
किस रूप मे हुआ पांडवो का जन्म?
इस बात को सुनकर सभी पांडव भगवान श्री कृष्ण जी के पास गए और उन्हें पूरी बात बताई जिसे सुनकर श्री कृष्ण जी ने पांडवो को दिलासा दिया और उन्हें बताया की वो चिंतित न हो और उनकी चिंता को ध्यान मे रखते हुए पांडवो को बताया की वे कलयुग मे किस रूप मे जन्म लेंगे और कहाँ लेंगे।

इन सब बातों का वर्णन भविष्य पुराण मे किया हुआ है। भविष्य पुराण के अनुसार श्री कृष्ण ने कहा था कि सत्यवादी युधिष्ठिर जी का जन्म कलयुग मे मलखान नाम से होगा और वो वत्सराज नाम के राजा के पुत्र होंगे, शक्तिशाली भीम जिनमें सौ हाथियों जितना बल था उनका जन्म कलयुग मे वीरण नाम से होगा और वो वनरस नामक राज्य के राजा बनेंगे।
श्री कृष्ण जी ने आगे बताते हुए कहा कि कलयुग मे महान धनुर्धारी अर्जुन का जन्म परीलोक नाम के राजा के यहाँ होगा और उनका नाम बर्मानन्द नाम से मशहूर होगा और कलयुग मे नकुल का जन्म कान्यकुब्ज के राजा रत्नभानु के यहाँ होगा और उन्हें उनके चरित्र के लिए जाना जाएगा। श्री कृष्ण जी कहते हैं कि कलयुग मे सहदेव देवसिंह नाम से जन्म लेंगे और उनके पिता का नाम राजा भीमसिंह होगा।
श्री कृष्ण ने पाँच पांडवो के अलावा भी कुन्तीपुत्र कर्ण के बारे मे भी बताया और कहा कि उनका जन्म तारक नाम के राजा के रूप मे होगा और श्री कृष्ण जी ने ये भी कहा कि धृतराष्ट का जन्म भी कलयुग मे होगा और इनका जन्म अजमेर नामक स्थान पर पृथ्वीराज के रूप मे होगा और द्रौपती उनकी पुत्री के रूप मे जन्म लेगी जिसका नाम वेला होगा। ये सब बातें श्री कृष्ण जी ने पांडवो से कही जिसका जिक्र भविष्य पुराण मे किया हुआ है।
पांडवो का अंत कैसे हुआ ?

महाभारत के युद्ध के बाद पांडवो ने तय किया कि अब वे सारा राज पाठ त्याग कर मोक्ष की प्राप्ति के लिए कैलाश पर्वत की ओर चल देंगे। रास्ते मे जाते हुए उन्होंने केदारनाथ मंदिर की स्थापना की, स्वर्ग की सीढ़ी की खोज मे सभी पांडव पर्वतों की ओर चलते गए रास्ते मे कई कठिनाइयों का सामना करना पड़ा जिसके चलते नकुल , सहदेव, भीम और अर्जुन स्वर्ग सिधार गए। कहा जाता है एक अकेले युधिष्ठिर ही थे जो कि एक कुत्ते के साथ स्वर्ग मे मनुष्य रूप मे जा सके और ये भी कहा जाता है कि वो कुत्ता कोई और नही यमराज था। ये थी पांडवो के अंत की कहानी जिससे शायद कुछ लोग ही वाकिफ होंगे।
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