शारदीय नवरात्र के नौ दिन साधना का अवसर लेकर के आते हैं. माँ के नौ रूपों का अलग अलग महत्व है. इन नौ दिनों में आस्था और भक्ति चरम सीमा पर होती है. माँ के नौ रूप मानव को अलग-अलग शिक्षा देते हैं. आइये नवरात्र के हर दिन दुर्गा माँ के हर रूप की पूजा करने से पहले यह जान ले की यह नौ रूप हमें क्या सिखाते हैं. और हम इन नौ रूपों से क्या सीख सकते हैं और अपने जीवन को धन्य कर सकते हैं. माँ शक्ति हैं, इस्थिरता हैं, समृद्धि हैं और असंख्य गुणों का केंद्र हैं….
शैलपुत्री माता:
नवरात्र का पहला दिन माता शैलपुत्री का होता है. माता शैलपुत्री से हमें जीवन में इस्थिरता और दृढ़ता की शिक्षा लेनी चाहिए. जो लोग जीवन में अस्थिर हैं उन लोगों को माता शैलपुत्री की आराधना करनी चाहिए.
ब्रम्ह्चारिणी माता:
ब्रम्ह्चारिणी माता से शांति की सीख ले सकते हैं. जिन्हें कड़ी मेहनत के बाद भी सफलता नहीं मिल पा रही वो ब्रम्ह्चारिणी माता की आराधना करके अपनी मनोकामना पूरी कर सकते हैं. स्वाभाव में शालीनता की शिक्षा देती हैं माँ ब्रम्ह्चारिणी.
चंद्रघंटा माता:
माता का यह रूप मनुष्य में सातों गुणों को निखारने वाला है. जीवन में समर्पण का भाव अपने चाहने वालों के साथ साथ दूसरों के लिए जीने की शिक्षा हमें चंद्रघंटा माता से लेनी चाहिए. माता का यह रूप हमें समर्पण की सीख देता है.
आगे पढने के लिए नेक्स्ट पर क्लिक करें….