Kinner Death Ceremony|कैसे होता है किन्नरों का अंतिम संस्कार ? जाने पूरा रहस्य

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किन्नरो (kinner) को तो सब लोग जानते है इन्हें सबने नाचते गाते देखा है| ये लोग सबकी ख़ुशी में शामिल होते है और नाचते गाते है , परन्तु अपने जीवन के दुःख को छुपाते है।ये लोग अपने परिवार से दूर रहते है क्योंकि समाज इन्हें अपनाता ही नहीं है।कहा जाता है कि मृत्यु एक सार्वभौम सत्य है और इस पर किसी का जोर नही चलता। कौन इंसान कब मृत्यु को प्राप्त हो जाए कोई नहीं बता सकता। इस प्रक्रिया से सभी बंधे है की जिसने जन्म लिया है उसकी मौत एक न एक दिन निश्चित है। न सिर्फ इंसान बल्कि पशु पक्षी, पेड़ आदि सब एक न एक दिन मौत के हवाले हो जाते है।

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इस दुनिया में हर धर्म के लोगों के अलगअलग रीति-रिवाज़ और रस्में हैं।इसी तरह हर धर्म में अंतिम संस्कार के भी अलग-अलग प्रथा है। हिन्दू धर्म में जहाँ दाह-संस्कार में स्त्री और पुरुष के शव को जलाकर अंतिम संस्कार किया जाता है वहीँ मुस्लिम और ईसाई धर्म में शव को दफनाने का रिवाज़ है।परंतु किन्नर समाज में ऐसा नही होता उनकाअंतिम संस्कार कुछअलग होता है।किन्नर समुदाय को लेकर कई ऐसी बाते हैं जो इतनी रोचक है, जिसे हर कोई जानना चाहेगा| किन्नरों की दुनिया जितनीअलग है, इनके रीति-रिवाज़ और संस्कार भी उतने हीअलग है।

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कौन होता है किन्नर (Who Are Kinner)? 

समाज में इस समुदाय को थर्ड जेंडर, ट्रांस-जेंडर जैसे नामों से जाना जाता है।इनके रीति-रिवाजो और संस्कारों के बारे में तो शायद ये बात बहुत कम लोग ही जानते होंगे कि जब किन्नरों की मौत होती है, तो किन्नरों का अंतिम संस्कार कैसे किया जाता है? किन्नरों का अंतिम संस्कार कैसे होता हैं?देखा जाए तो ये विषय ही रहस्यों से भरा है और इसीलिए भी लोग किन्नरों से जुड़ी नई-नई बातों को जानने के लिए उत्सुक रहते हैं। बहुत से लोगों के मन में ये सवाल उठते है कि आखिर किन्नरों के शव के साथ क्या किया जाता है एवं कैसा होता है इनका अंतिम संस्कार।

किन्नर की मौत के बाद उसको सबसे पहले सफेद कपड़े में लपेट दिया जाता है| इसके बाद उसकी डेड बॉडी से हर प्रकार के गहने एवं वस्तुए निकाली जाती है और उसके शरीर पर किसी प्रकार की कोई भी बंधी हुई चीज नहीं छोड़ी जाती। ऐसा इसलिए किया जाता है ताकि उनकी आत्मा आजाद हो जाए और किसी तरह के बंधन से बंधकर वह धरती पर ना रह जाए।किन्नर कीआत्मा की मुक्ति के लिए इस रसम को निभाया जाता है।किन्नरों की मौत पर जश्न का कारण उनके नर्क रुपी जीवन से मुक्ति मिलना है। साथ ही वे अपने आराध्य देव अरावन से यह कामना करते हैं कि अगले जन्म उस किन्नर को दोबारा किन्नर का रूप ना दें।

गुप्त तरीके से होता है अंतिम संस्कार| Rituals After Kinner Death

किन्नर की मौत के बाद किन्नरों का अंतिम संस्कार बहुत ही गुप्त तरीके से किया जाता है. जब भी किसी किन्नर की मौत होती है तो उसे समुदाय के बाहर किसी गैर किन्नर को नहीं दिखाया जाता|इसके पीछे किन्नरों की ऐसी मान्यता है कि ऐसा करने से मरने वाला अगले जन्म में भी किन्नर ही पैदा होगा| किन्नरों के समुदाय में शव को अग्नि नहीं देते बल्कि उसे दफनाते है।इनकी प्रगति की बात करें तो हर साल करीबन 75% किन्नरों की संख्या में वृद्धि हो रही है। इनमें 80% किन्नर ऐसे होते हैं जो पैदाईशी किन्नर तो नही होते पर इन्हें जबरदस्ती बनाया जाता है। इस झुंड में वो लोग भी शामिल हो जाते हैं जिनका स्वभाव थोड़ा लड़की के समान होता है। सरकार द्वारा तीसरे जेंडर को मान्यता दे दी गयी है, फिर भी यह समाज आम लोगो से दूरअपनी जिंदगी बिताता है औरअपने अजीबो-गरीब संस्कारों को अंजाम देता आया है।

जूतेचप्पलों से पीटा जाता है शव को

किन्नरों की शवयात्रा दिन के वक्त नहीं बल्कि रात के वक्त निकाली जाती है| शव-यात्रा को उठाने से पहले शव को जूते-चप्पलों से पीटा जाता है| समुदाय में किसी भी किन्नर की मौत के बाद पूरा समुदाय एक हफ्ते तक भूखा रहता ह| हालांकि किन्नर समुदाय भी इस तरह की रस्मों से इंकार नहीं करता है|

मौत के बाद मातम नहीं मनाते| Kinner After Death

किन्नर समाज की सबसे बड़ी विशेषता यह है कि किसी भी किन्नर की मौत के बाद ये लोग मातम नहीं मनाते हैं| इनकी मान्यता है कि मरने के बाद उस किन्नर को इस नर्क रूपी जीवन से छुटकारा मिल जाता है| इसलिए मरने के बाद ये लोग खुशी मनाते हैं, इतना ही नहीं ये लोग खुद के पैसों से दान कार्य भी करवाते हैं ताकि फिर से उन्हे इस रुप में पैदा न होना पड़े। किन्नर की मौत के बाद समुदाय के कुछ लोग दान-पुण्य भी करते है ताकि उसका जन्म अगले जन्म में किन्नर के रूप में न हो।ऐसा इसलिए किया जाता है ताकि वह अगले जन्म किसी आम-आदमी के रूप में जन्म ले।

एक दिन के लिए होती है शादी| Facts About Kinner Marriage

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किन्नरों के संबंध में जानकारी मिली है कि कुछ किन्नर जन्म-जात होते हैं और कुछ ऐसे होते हैं जो पहले पुरुष थे लेकिन बाद में वो किन्नर बने हैं| किन्नरअपनेआराध्यदेव अरावन से साल में एक बार शादी करते हैं| हालांकि यह शादी सिर्फ एक दिन के लिए होती है| अगले दिन अरावन देवता की मौत के साथ ही उनका वैवाहिक जीवन खत्म हो जाता है। संसार के सुख में शरीक होने वाले ये किन्नर  खुद बेहद दुखी रहते हैं।

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