करवा चौथ की पूजन सामग्री
कुंकुम, शहद, अगरबत्ती, पुष्प, कच्चा दूध, शक्कर, शुद्ध घी, दही, मिठाई, गंगाजल, चंदन, चावल, सिन्दूर, मेंहदी, महावर, कंघा, बिंदी, चुनरी, चूड़ी, बिछुआ, मिट्टी का टोंटीदार करवा व ढक्कन, दीपक, रुई, कपूर, गेहूँ, शक्कर का बूरा, हल्दी, पानी का लोटा, गौरी बनाने के लिए पीली मिट्टी, लकड़ी का आसन, छलनी, आठ पूरियों की अठावरी, हलुआ, दक्षिणा के लिए पैसे।
सम्पूर्ण सामग्री एक दिन पहले ही इकट्ठी कर लें । व्रत वाले दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठ कर स्नान कर स्वच्छ कपड़े पहन, शृंगार कर लें । इस अवसर पर करवा की पूजा-अर्चना कर उसके साथ शिव-पार्वती की पूजा का विधान है क्योंकि माँ पार्वती ने कठिन तपस्या करके शिवजी को प्रसन्न कर अखंड सौभाग्य प्राप्त किया था इसी लिये शिव-पार्वती की पूजा की जाती है । करवा चौथ के दिन चंद्रमा की पूजा का धार्मिक और ज्योतिष दोनों ही दृष्टि से महत्व है।
करवा चौथ-व्रत की पूजन विधि व इस साल का मुहूर्त
किसी भी व्रत में पूजन विधि का बड़ा महत्व होता है । अगर सही विधिपूर्वक पूजा नहीं की जाये तो इससे पूरा फल प्राप्त नहीं हो पाता है । तो आइये जानते हैं करवा चौथ पर्व की पूजा-विधि |
व्रत के दिन प्रात:काल नित्यकर्म से निवृत्त होकर स्नानादि करने के पश्चात यह संकल्प बोलकर (लेकर) और व्रत आरंभ करें –
‘मम सुखसौभाग्य पुत्रपौत्रादि सुस्थिर श्री प्राप्तये करक चतुर्थी व्रतमहं करिष्ये।‘
प्रातः पूजा के समय इस मन्त्र के जप से व्रत प्रारंभ किया जाता है | घर के मंदिर की दीवार पर गेरू से फलक बनाकर चावलों को पीसे । फिर इस घोल से करवा चित्रित करें । इस रीति को करवा धरना कहा जाता है।
1, व्रत के दिन निर्जला रहें (जलपान ना करें) ।
2, माँ पार्वती का सुहाग-सामग्री आदि से श्रृंगार करें ।
3, शिव-पार्वती की आराधना करें और कोरे करवे में पानी भरकर पूजा करें ।
4, सौभाग्यवती स्त्रियां पूरे दिन का व्रत कर व्रत की कथा सुनें ।
5, शाम के समय, माता पार्वती की प्रतिमा की गोद में श्रीगणेश को विराजमान कर उन्हें लकड़ी के आसन पर बिठाएं फिर चंद्रमा के दर्शन करने के बाद ही पति द्वारा अन्न एवं जल ग्रहण करें ।
6, पति, सास-ससुर सब का आशीर्वाद लेकर व्रत को समाप्त करें।
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