रावण था माँ भगवती का भक्त:
रावण एक असुर तो था, लेकिन सबसे बड़ा शिव भक्त भी था और माँ भगवती का परम भक्त भी था. एक ऋषि के श्राप के कारण रावण असुर बना. उसने श्री राम से युद्ध के पहले माँ भगवती की पूजा करके उनसे यह वरदान माँगा था की, “श्री राम से युद्ध के समय माता रावण के साथ उसके रथ पर विराजमान होकर रावण की रक्षा करेंगी”. जब श्री राम ने यह देखा की माता भगवती जो की सम्पूर्ण ब्रम्हांड को जनम देने वाली हैं, जो त्रिदेवों को जनम देने वाली हैं, रावण के रथ पर विराजमान हैं. ऐसे में रावण पर एक भी प्रहार नहीं किया जा सकता. ऐसे में रावण को मरना असंभव था.
श्री राम ने किया माँ दुर्गा की पूजा:
श्री राम ने आदि शक्ति का पूजन प्रारंभ किया और माता का आवाहन करने लगे,लेकिन माता ने श्री राम को दर्शन नहीं दिए. तभी विभीषण और ऋषियों ने श्री राम को 108 नीले कमल के फूलों से माता का पूजन करने का आश्वासन दिया. यह सुन हनुमान जी देबिदाहा नामक जगह से 108 नीले कमल के फूल लेकर आये. श्री राम ने नवरात्र के छटवें दिन माता का पूजन आरम्भ किया.