प्रकाशमयी दीपों का त्यौहार – दीपावली
हम सब जानते है कि हिन्दुस्तान त्यौहारों का देश है | हिन्दू धर्म के कई मुख्य त्यौहार जैसे – शिवरात्रि, होली, रक्षाबंधन, जन्माष्टमी, नवरात्रि आदि में दीपावली भी एक मुख्य त्यौहार है | इसे तो पर्वो की हारमाला भी कहा जाता है | इस त्यौहार को पाँच दिन तक मनाया जाता है, जिसमे पहला दिन धनतेरस, दूसरा दिन काली चौदस, तीसरा दिन दीपावली, चौथा दिन नूतन वर्ष एवं पाँचवा दिन भाईदूज के रूप में मनाया जाता है |
दीपावली त्यौहार जो कि खुशियों से भरा हुआ होता है जिसमे लोग नए-नए वस्त्र पहनकर एक-दूसरे को अभिनन्दन देते है, मिठाइयाँ बाटते है, बहनों का अपने भाइयों के प्रति प्रेम झलकता है और भाई अपनी जिम्मेदारी को स्वीकार करते है अर्थात इस त्यौहार को ५ दिनों तक बड़े धूम-धाम से मनाया जाता है | आइये इस पावन पर्व के पाँच दिनों में प्रकाश डालते है |
धनतेरस
समुद्र मंथन के दौरान रोगोपचार के देवता धन्वंतरि औषधि रूप अमृत लेकर प्रगट हुए थे | जैसा कि हम सब जानते है औषधि की स्वास्थ्य सम्पदा को बनाए रखने में कितनी महत्वपूर्ण भूमिका है | इस त्यौहार में औषधि रुपी अमृत के देवता धन्वंतरि की पूजा की जाती है ताकि उनकी कृपा से हमें और हमारे समस्त परिवार के सदस्यों को स्वास्थ्य एवं आदर्श जीवन प्राप्त हो सके इसलिए देवता धन्वंतरि के नाम पर इस त्यौहार को धनतेरस के रूप में मनाया जाता है |
काली चौदस
धनतेरस के अगले दिन काली चौदस आती है अतः इसे नरक चतुर्दशी के नाम से भी जाना जाता है | पौराणिक कथा के अनुसार इस दिन भगवान श्री कृष्ण ने नरकासुर का वध किया था और १६ हजार कन्याओं को उसकी कैद से मुक्त कराकर अपनी शरण प्रदान की थी | ऐसा माना जाता है कि जैसे भगवान श्री कृष्ण ने पापी नरकासुर की वासना एवं अहंकार का अंत कर उसे यमलोक पहुंचाया था | इसी प्रकार हमें अपने भीतर की वासना, अहंकार एवं बुरी आदतों का अंत करना चाहिए ताकि हमें भगवान श्री कृष्ण की शरण प्राप्त हो सके | इस दिन हम सभी को ईश्वर से प्रार्थना करनी चाहिए कि आप हमारे अन्दर के अन्धकार को मिटा कर प्रकाश विद्धमान करें एवं हमें भी अपनी करुणामयी कृपा का पात्र बनाए |
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