शिवपुराण में वर्णित है मृत्यु के ये 12 संकेत | Sign of Death By Shivpuran

0
1082

इससे पहले हम शिवपुराण और उसमें दिए मृत्यु के 12 संकेत (Sign of Death By Shivpuran) के बारे में जाने, पहले हम जान लेते की भगवान शिव है कौन ? हिन्दू धर्म ग्रंथों में भगवान शिव को महाकाल कहा गया है। महाकाल का अर्थ है, काल या मृत्यु भी जिसके अधीन हैं। भगवान शिव जन्म-मृत्यु से मुक्त हैं। अनेक धर्म ग्रंथों में भगवान शंकर को अनादि व अजन्मा बताया गया है। जिस विशाल खालीपन को हम शिव कहते हैं, वह सीमाहीन है, शाश्वत है।

मगर चूंकि इंसानी बोध रूप और आकार तक सीमित होता है, इसलिए हमारी संस्कृति में शिव के लिए बहुत तरह के रूपों की कल्पना की गई। गूढ़, समझ से परे ईश्वर, मंगलकारी शंभो, बहुत नादान भोले, वेदों, शास्त्रों और तंत्रों के महान गुरु और शिक्षक, दक्षिणमूर्ति, आसानी से माफ कर देने वाले आशुतोष, स्रष्टा के ही रक्त से रंगे भैरव, संपूर्ण रूप से स्थिर अचलेश्वर, सबसे जादुई नर्तक नटराज, आदि। यानी जीवन के जितने पहलू हैं, उतने ही पहलू शिव के बताए गए हैं।

भगवान शंकर से संबंधित अनेक धर्मग्रंथ भी प्रचलित हैं लेकिन शिवपुराण उन सभी में सबसे अधिक प्रमाणिक माना गया है। शिवपुराण में मृत्यु के बारे काफी कुछ बताया गया हैं। और मृत्यु जीवन की सबसे बड़ी सच्चाई है,इसलिए मृत्यु से डरने का कोई फायदा नही। वैसे हम मृत्यु के समय को नहीं जान सकते,लेकिन मृत्यु आने से पहले कुछ संकेत देती है (sign of death), अगर वो संकेतों को जान ले तो हमें अपने मृत्यु के वक़्त के बारे में पता चल सकता हैं।

भगवान् शिव के अनेकों नाम हैं जैसे देवों के देव महादेव कहे जाते हैं वैसे ही ग्रन्थों में महाग्रंथ शिवमहापुराण को कहा जाता हैं। इस ग्रंथ में भगवान शिव से संबंधित अनेक रहस्यमयी बातें बताई गई हैं। इसके अलावा इस ग्रंथ में ऐसी अनेक बातें लिखी हैं, जो जीवन और मृत्यु से जुड़ी हुई है। शिवपुराण में भगवान शिव ने माता पार्वती को मृत्यु के संबंध में कुछ विशेष संकेत बताए है।  जिनसे मनुष्य की मृत्यु के आसार व मृत्यु के बारे में पहले जाना जा सकता है।

क्या आपको पता हैं कि वो मृत्यु के संकेत (sign of death) क्या हैं ? नहीं पता !

आज हम आपको बताएँगे कि शिव पुराण में वर्णित क्या है मृत्यु के ये 12 संकेत ! Sign of Death By Shivapuran

जैसा कि हिन्दू धर्म और ग्रंथो में पुराण को भारतीय संस्कृति का प्राण माना गया हैं। पुराण, हिंदुओं के धर्म से जुड़ा ग्रंथ हैं जिसमे सृष्टि, प्राचीन ऋषियों और राजाओं आदि के बारे में विस्तार से बताया गया हैं। यह वैदिक काल के काफी बाद के ग्रन्थ हैं, भारतीय जीवन-धारा में जिन ग्रन्थों का महत्वपूर्ण स्थान है उनमें भक्ति से जुड़े पुराण बहुत महत्वपूर्ण माने जाते है। शिवमहापुराण उन्ही पुराणों का सबसे महत्वपूर्ण माना जाने वाला पुराण हैं।

हिन्दू शास्त्रों के अनुसार जन्म-मृत्यु एक ऐसा चक्र है, जो अनवरत चलता रहता है। कहते हैं जिसने जन्म लिया है उसकी मृत्यु होना भी एक अटल सच्चाई है, लेकिन कई ऋषि- मुनियों ने इस सच्चाई को झुठला दिया है। वह मरना सीख कर हमेशा जिंदा रहने का राज जान गए और वे सैकड़ों वर्ष और कुछ तो हजारों वर्ष जीकर चले गए और कुछ तो आज तक जिंदा हैं। कहते हैं कि ऋषि वशिष्ठ सशरीर अंतरिक्ष में चले गए थे और उसके बाद आज तक नहीं लौटे। परशुराम, हनुमान जी, कृपाचार्य और अश्वत्थामा के आज भी जीवित होने की बात कही जाती है।

मृत्यु के बारे में वेद, योग, पुराण और आयुर्वेद में विस्तार से लिखा हुआ है। पुराणों में गरुड़ पुराण, शिव पुराण और ब्रह्म पुराण में मृत्यु के स्वभाव का उल्लेख मिलेगा। मृत्यु के बाद के जीवन का उल्लेख मिलेगा। परिवार के किसी भी सदस्य की मृत्यु के बाद घर में गीता और गरुड़ पुराण सुनने की प्रथा है, इससे मृत आत्मा को शांति और सही ज्ञान मिलता है जिससे उसके आगे की गति में कोई रुकावट नहीं आती है। शरीर को छोड़ने के बाद सच्चा ज्ञान ही लंबे सफर का रास्ता दिखाता है।

शिवपुराण में भगवान शिव ने माता पार्वती को मृत्यु के सम्बन्ध में कुछ विशेष संकेत बताते हैं। इन संकेतों (sign of death) को समझकर यह जाना जा सकता है कि किस व्यक्ति की मौत कितने समय में हो सकती हैं।

ये भी पढ़ें – https://hindi.aastik.in/brahma-bhagwan/

ये 12 संकेत कुछ इस प्रकार हैं | Sign of Death By Shivapuran

  1. शिवपुराण के अनुसार जिस मनुष्य को ग्रहों के दर्शन होने पर भी दिशाओं का ज्ञान न हो, मन में बेचैनी छाई रहे, तो उस मनुष्य की मृत्यु 6 महीने में हो जाती है।
  2. जिस व्यक्ति को अचानक नीली मक्खियां आकर घेर लें, उसकी आयु एक महीना ही शेष जाननी चाहिए।
  3. ऐसा शिवपुराण में बताया गया है कि जिस मनुष्य के सिर पर गिद्ध, कौवा अथवा कबूतर आकर बैठ जाए, वह एक महीने के भीतर ही मर जाता है।
  4. यदि अचानक किसी व्यक्ति का शरीर सफेद या पीला पड़ जाए और लाल निशान दिखाई दें तो समझना चाहिए कि उस मनुष्य की मृत्यु 6 महीने के भीतर हो जाएगी।जिस मनुष्य का मुंह, कान, आंख और जीभ ठीक से काम न करें, शिवपुराण के अनुसार उसकी मृत्यु 6 महीने के भीतर हो जाती है।
  5. जिस मनुष्य को चंद्रमा व सूर्य के आस-पास का चमकीला घेरा काला या लाल दिखाई दे, तो उस मनुष्य की मृत्यु 15 दिन के अंदर हो जाती है। अरुंधती तारा व चंद्रमा जिसे न दिखाई दे अथवा जिसे अन्य तारे भी ठीक से न दिखाई दें, ऐसे मनुष्य की मृत्यु एक महीने के भीतर हो जाती है।
  6. त्रिदोष (वात, पित्त, कफ) में जिसकी नाक बहने लगे, उसका जीवन पंद्रह दिन से अधिक नहीं चलता। यदि किसी व्यक्ति के मुंह और कंठ बार-बार सूखने लगे तो यह जानना चाहिए कि 6 महीने बीत-बीतते उसकी आयु समाप्त हो जाएगी।
  7. जब किसी व्यक्ति को जल, तेल, घी तथा दर्पण में अपनी परछाई न दिखाई दे, तो समझना चाहिए कि उसकी आयु 6 माह से अधिक नहीं है। जब कोई अपनी छाया को सिर से रहित देखे अथवा अपने को छाया से रहित पाए तो ऐसा मनुष्य एक महीने भी जीवित नहीं रहता।
  8. जब किसी मनुष्य का बायां हाथ लगातार एक सप्ताह तक फड़कता ही रहे, तब उसका जीवन एक मास ही शेष है, ऐसा जानना चाहिए। जब सारे अंगों में अंगड़ाई आने लगे और तालू सूख जाए, तब वह मनुष्य एक मास(महीने) तक ही जीवित रहता है।
  9. जिस मनुष्य को ध्रुव तारा अथवा सूर्य मंडल का भी ठीक से दर्शन न हो। रात में इंद्रधनुष और दोपहर में उल्कापात होता दिखाई दे तथा गिद्ध और कौवे घेरे रहें तो उसकी आयु 6 महीने से अधिक नहीं होती,ऐसा शिवपुराण में बताया गया है।
  10.  जो मनुष्य अचानक सूर्य और चंद्रमा को राहु से ग्रस्त देखता है (चंद्रमा और सूर्य काले दिखाई देने लगते हैं) और संपूर्ण दिशाएं जिसे घूमती दिखाई देती है, उसकी मृत्यु 6 महीने के अंदर हो जाती है।
  11. शिवपुराण के अनुसार जो व्यक्ति हिरण के पीछे होने वाली शिकारियों की भयानक आवाज को भी जल्दी नहीं सुनता, उसकी मृत्यु 6 महीने के भीतर हो जाती है। जिसे आकाश में सप्तर्षि तारे न दिखाई दें, उस मनुष्य की आयु भी 6 महीने ही शेष समझनी चाहिए।
  12. शिवपुराण के अनुसार जिस व्यक्ति को अग्नि का प्रकाश ठीक से दिखाई न दे और चारों ओर काला अंधकार दिखाई दे तो उसका जीवन भी 6 महीने के भीतर समाप्त हो जाता है।

यह सब संकेत शिव पुराण में लिखे है और आपको बता दें कि इन संकेतो में कितना दम हैं और कितने सच है, इसका कोई प्रमाण नहीं हैं।

ये भी पढ़ें – https://hindi.aastik.in/bijli-mahadev-temple/

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here