About Bharat Mata Mandir- प्रत्येक देश मे देशप्रेम की भावना होती है पर इनमे से भारत एक अनोखा देश है क्योंकि यहाँ अपने देश की मिट्टी को माँ का दर्जा दिया जाता है। मातृभूमि को माँ माना जाता है। हमारे धर्मग्रंथों जैसे रामायण में कहा गया है कि “जननी जन्मभूमिश्च स्वर्गादपि गरीयसी” इसी तरह वेदों में भी उल्लेख है कि “माता भूमि: पुत्रो हं पृथिव्या:”अर्थात भूमि माता है और मैं उसका पुत्र हूँ। इस तरह की भावना और परंपरा के देश मे आश्चर्य की बात नहीं कि हम अपनी मातृभूमि को भारत माता के रूप में देवी की गरिमा प्रदान करते हैं और अन्य सभी देवी देवताओं की तरह उनकी भी पूजा करते हैं। हमने ये स्वतंत्रता बहुत बलिदान से पाई है और इसी से हमारी देशभक्ति हमारी रगों में दौड़ती है। जब स्वतंत्रता संग्राम चल रहा था तब सर्वप्रथम भारतमाता की छवि निर्मित हुई।
आनंदमठ के समय रविंद्र नाथ टैगोर ने सर्वप्रथम भारतमाता की छवि एक चारभुजों वाली देवी के रूप में मानी जो बसंती रंग के कपड़ों में हैं और जिनके एक हाथ मे पुस्तक एक मे माला एक में धान की बाली और एक मे सफेद वस्त्र हैं। सिस्टर निवेदिता जो कि चित्रकला में रुचि रखती थीं उन्होंने कहा कि ये छवि और अधिक मुखर होगी अगर भारतमाता हरियाली धरती पर खड़ी होंगी और उनके पैरों के पीछे नीला आसमान होगा। चार भुजाओं का मतलब है कि एक पवित्र शक्ति जिसके पास अपने बच्चों के लिए शिक्षा-दीक्षा ,अन्न ,धन और वस्त्र का उपहार है। उस समय स्वतंत्रता के लिये संघर्ष चल रहा था ऐसे में देशभक्ति की भावना को प्रबल करने के लिये ऐसी भावना की जरूरत थी और भारतमाता की छवि ने देशभक्ति को बल दिया। राष्ट्रीय एकता की भावना का दृष्टिकोण इस से जुड़ा था।
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भारत माता मंदिर की स्थापना|Establishment of Bharat Mata Mandir
सन 1936 में महात्मा गाँधी विश्विद्यालय बापू ने भारतमाता मंदिर (Bharat Mata Mandir) की स्थापना की। ये पहला भारतमाता का मंदिर था। वैसे बाद के समय में भारत मे और कुछ स्थानों पर भी भारतमाता के मंदिर बने परंतु उन सबमें एक मन्दिर सबसे भव्य है जो हरिद्वार(उत्तरांचल) में स्थित है। इस मंदिर को मदर इंडिया के नाम से भी जाना जाता है।
भारतमाता को समर्पित इस मंदिर का निर्माण स्वामी सत्यमित्रानंद गिरि जी ने विश्व हिंदू परिषद के साथ मिलकर किया, जिसका उद्घाटन 15 मई 1983 को तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गाँधी जी ने किया। 180 फुट ऊँचा ये मंदिर हरिद्वार के सप्तसरोवर में स्थित है जिसमें आठ मंजिलें हैं। ये बहुत ही भव्य और दर्शनीय मंदिर है जिसके दर्शन प्रत्येक भारतीय को करने चाहिए|यहाँ दर्शन कर के देशभक्ति की भावना प्रबल हो जाती है।
मंदिर की संरचना|Architecture of Bharat Mata Mandir

इस मंदिर में आठ तल हैं और प्रत्येक तल की अपनी विशेषता है।
प्रथम तल पर भारतमाता की चार भुजाओं वाली भव्य मूर्ति है। जिनके पैरों के पीछे गर्जना करता हुआ सिंह है जो शक्ति का प्रतीक है ।
द्वितीय तल को शूर मंदिर कहा जाता है यह हमारे लोकप्रिय स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों को समर्पित है।
तृतीय तल को मातृ मंदिर कहा जाता है, ये हमारी मातृशक्ति को समर्पित है |यहाँ मीराबाई, सावित्री आदि की मूर्तियाँ हैं। इससे हमारी स्त्रियों को सम्मान देने और उन्हें माँ के रूप में पूजे जाने की सनातन परंपरा का पता लगता है।
चतुर्थ तल महान भारतीय संतों को समर्पित है जिसमे जैन सम्प्रदाय ,सिक्ख सम्प्रदाय और बौद्ध धर्म के कई संतों की प्रतिमाएं हैं जिससे प्रत्येक धर्म में हमारी गहरी आस्था पता लगती है।
पंचम तल पर एक बड़ा प्रार्थना कक्ष है जिसकी दीवारों पर हमारी अनेकता में एकता की राष्ट्रीय भावना को दर्शाया गया है। इसमें दिखाया गया है कि यहाँ कैसे विभिन्न धर्म के लोग एक ही स्थान पर अपने-अपने धर्मों का पालन करते हैं। ये हमारी धर्मनिरपेक्षता की भावना को दिखाता है। दीवारों पर बने सुंदर चित्रों में भारत के विभिन्न क्षेत्रों की सुंदरता को दर्शाया गया है।
छँटवे तल पर शक्ति के सारे स्वरूप हैं जिसमें माता के सारे अवतारों के दर्शन होते हैं।
सातवें तल पर भगवान विष्णु के सभी अवतारों के दर्शन होते हैं।
आठवें तल और अंतिम तल प्रकृति प्रेमियों के लिए एक आध्यात्मिक उपहार की तरह है। यहाँ हिन्दू परंपरा के सबसे बड़े देवता भगवान शिव के दर्शन का सौभाग्य मिलता है।यहाँ से सप्तसरोवर के दृश्यों को देखा जा सकता है ।
एक प्रकार से ये मंदिर अत्यंत ही भव्य और दर्शनीय है। यहाँ देशभक्ति गीत सुनने को मिलते हैं। वर्तमान में भारतमाता मंदिर के अध्यक्ष जूनापीठाधीश्वर महामंडलेश्वर अनंतश्रीविभूषित परिव्राजकाचार्य श्री अवधेशानंद गिरि महाराज हैं।
भारत माता मंदिर कैसे पहुंचे ? How to Reach Bharat Mata Mandir ?
हरिद्वार पहुँचने के बाद यहाँ पहुँचना सुगम है । ये रेलवे स्टेशन और बस स्टेशन से मात्र साढ़े चार किलोमीटर की दूरी पर है ।ऑटो रिक्शा , कैब आदि से यहाँ पहुँचा जा सकता है।बस सीधे मंदिर के सामने आकर ही रुकती है।देहरादून के जोलीग्रांट एयरपोर्ट से ये मात्र 25 km की दूरी पर स्थित है।
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