अपरा एकादशी
हिंदू धर्म में एकादशी का व्रत महत्त्वपूर्ण स्थान रखता है। प्रत्येक वर्ष में चौबीस एकादशियाँ होती हैं। ज्येष्ठ मास कृष्ण पक्ष की एकादशी को अपरा एकादशी कहा जाता है।
अपरा एकादशी भगवान विष्णु को समर्पित है। अपरा एकादशी को अचला एकादशी के रूप में भी जाना जाता है। शास्त्रों में अपरा एकादशी व्रत को समस्त संसारिक पापों से मुक्ति दिलाने वाला माना गया है। इस महीने अपरा एकादशी ज्येष्ठ कृष्ण एकादशी यानि 11 मई 2018 को पड़ रही है।
महाभारत में श्रीकृष्ण जी ने युधिष्ठिर को बताया कि ब्रह्म हत्या से दबा हुआ, गोत्र की हत्या करने वाला, गर्भस्थ शिशु को मारने वाला, परनिंदक, परस्त्रीगामी भी अपरा एकादशी का व्रत रखने से पापमुक्त होकर श्री विष्णु लोक में प्रतिष्ठित हो जाता है। इस एकादशी व्रत को पुण्य फल देने वाला बताया गया है। इसके प्रभाव से मनुष्य के कीर्ति, पुण्य और धन में वृद्धि होती है।
माघ में सूर्य के मकर राशि में होने पर प्रयाग में स्नान, शिवरात्रि में काशी में रहकर व्रत, गया में पिंडदान, वृष राशि में गोदावरी में स्नान, बद्रिकाश्रम में भगवान केदार के दर्शन या सूर्यग्रहण में कुरुक्षेत्र में स्नान और दान के बराबर जो फल मिलता है, वह अपरा एकादशी के मात्र एक व्रत से मिल जाता है। अपरा एकादशी को उपवास करके भगवान वामन की पूजा से मनुष्य सब पापों से मुक्त हो जाता है। इसकी कथा सुनने और पढ़ने से सहस्र गोदान का फल मिलता है।
शाम को इस मंत्र का जाप करें और देखें चमत्कार
अपरा एकादशी के दिन भगवान् विष्णु जी को खुश करने के लिए इस मंत्र का जप बहुत ही महत्वपूर्ण होता है और प्रभु की असीम अनुकम्पा होती है | नीचे लिखे मंत्र का 108 बार जप करें और घी का दीपक जलाकर भगवान विष्णु की तस्वीर के सामने रखें |
ॐ नमो भगवते वासुदेवाय नमः |
अपरा एकादशी से जुड़ी कथा
एक कथा के अनुसार किसी राज्य में महीध्वज नाम का एक बहुत ही धर्मात्मा राजा था। राजा महीध्वज जितना नेक था उसका छोटा भाई वज्रध्वज उतना ही पापी था। वज्रध्वज महीध्वज से द्वेष करता था और उसे मारने के षड़यंत्र रचता रहता था। एक बार वह अपने मंसूबे में कामयाब हो जाता है और महीध्वज को मारकर जंगल में फिंकवा देता है और खुद राज करने लगता है। अब असामयिक मृत्यु के कारण महीध्वज को प्रेत का जीवन जीना पड़ता है। वह पीपल के पेड़ पर रहने लगता है। उसकी मृत्यु के पश्चात राज्य में उसके दुराचारी भाई से तो प्रजा दुखी थी ही साथ ही अब महीध्वज भी प्रेत बनकर आने जाने वाले को दुख पंहुचाते। लेकिन उसके पुण्यकर्मों का सौभाग्य के चलते उधर से एक पंहुचे हुए ऋषि गुजर रहे थे। उन्हें आभास हुआ कि कोई प्रेत उन्हें तंग करने का प्रयास कर रहा है। अपने तपोबल से उन्होंनें भूत को देख लिया और उसका भविष्य सुधारने का जतन सोचने लगे। सर्वप्रथम उन्होंने प्रेत को पकड़कर उसे अच्छाई का पाठ पढ़ाया फिर उसके मोक्ष के लिये स्वयं ही अपरा एकादशी का व्रत रखा और संकल्प लेकर अपने व्रत का पुण्य प्रेत को दान कर दिया। इस प्रकार उसे प्रेत जीवन से मुक्ति मिली और वो बैकुंठ गमन कर गया।
वर्ष २०१८ में आने वाली अपरा एकादशी का मुहूर्त
एकादशी तिथि 10 मई 2018 को 23.28 बजे से प्रराम्भ होकर 11 मई 2018 को 23.41 बजे समाप्त होगी |
इस तिथि में पारण करने (व्रत तोड़ने) का सही समय 6 बजकर 8 मिनट से 8.43 मिनट तक का होगा |
अपरा एकादशी व्रत विधि
अपरा एकादशी के दिन पूजन का विधान है, जिसके लिए मनुष्य को तन और मन से स्वच्छ होना चाहिए। इस पुण्य व्रत की शुरूआत दशमी के दिन से खान- पान, आचार- विचार द्वारा करनी चाहिए। एकादशी के दिन साधक को नित क्रियाओं से निवृत्त होकर स्नान के बाद व्रत का संकल्प लेना चाहिए। इसके बाद भगवान विष्णु, कृष्ण तथा बलराम का धूप, दीप, फल, फूल, तिल आदि से पूजा करने का विशेष विधान है। पूरे दिन निर्जल उपवास करना चाहिए, यदि संभव ना हो तो पानी तथा एक समय फल आहार ले सकते हैं।
द्वादशी के दिन यानि पारण के दिन भगवान का पुनः पूजन कर कथा का पाठ करना चाहिए। कथा पढ़ने के बाद प्रसाद वितरण, ब्राह्मण को भोजन तथा दक्षिणा देकर विदा करना चाहिए। अंत में भोजन ग्रहण कर उपवास खोलना चाहिए।
इस दिन सुबह जल्दी उठकर नहा-धोकर प्रार्थना करते है। भगवान विष्णु की पूजा में फल और तुलसी चढ़ाते है. इस दिन तुलसी के पौधे से पत्ते न तोड़े। (एक दिन पहले पत्ते तोड़ कर रख लें) घर के पास बने मंदिर में विष्णु भगवान के दर्शन जरूर करना चाहिए।
इस दिन विष्णु सहस्रनाम को जरूर सुनें और दोहराये या फिर ‘ओम नमो नारायण’ मंत्र का जाप भी कर सकते हैं। मौन-जाप रखकर अर्थात मन में प्रभु के नाम को दोहराने से मन को शांति मिलती है। वैसे ॐ नमो भगवते वासुदेवाय का १०८ बार जाप youtube channel – aastik spiritual secrets पर जाकर भी सुन सकते हैं अथवा उसको डाउनलोड कर सकते हैं |
भूल कर भी ना करें ये 7 कार्य
- ना खाएं चावल
अगर आप व्रत कर रहे हैं तो इस दिन भूल कर भी चावल का सेवन ना करें। इससे मन में चंचलता आती है और मन प्रभु भक्ति से अलग होता है। - मादक पदार्थों के सेवन से बचें
एकादशी के दिन नशीली चीजों का सेवन ना करें। इससे भगवान अपमानित होते हैं और रूठ जाते हैं जिससे वह आपके पूजा-पाठ का फल नहीं देते। - क्रोध न करें
क्रोध करने से मनुष्य का नाश होता है और जीवन में अशांति आती है। इससे मन में नकारात्मक विचार पैदा होते हैं। इसलिये क्रोध का त्याग करना चाहिए। - बिस्तर पर न सोएं
एकादशी का व्रत रखा है तो रात में बिस्तर के ऊपर न सोएं। अगर आपको व्रत का प्रभाव बढाना है तो जमीन पर कोई चटाई या दरी बिछाकर सोएं। - दांतुन ना करें
इस व्रत को रखने वालों को दांतुन नहीं करना चाहिये। कहने का मतलब है कि इस दिन फल-फूल, पत्ते, डालियां आदि नहीं तोड़ना चाहिए। इससे भगवान विष्णु नाराज हो जाते हैं। आप normally ब्रश कर सकते हैं | - तुलसी की पूजा करें
एकादशी के दिन शालिग्राम और तुलसी जी की पूजा करें, नहीं तो इसके बिना किया गया व्रत सफल नहीं होगा। क्योंकि विष्णु जी, शालिग्राम का ही अवतार माने जाते हैं। - ब्रह्मचर्य का पालन करें
इस दिन ब्रह्मचर्य का पालन करना सबसे जरूरी माना गया है। इस दिन खुद को शांत रखें, किसी का दिल न दुखाएं, भजन कीर्तन करें और न ही किसी की बुराई करें। - व्रत नियम का पालन करें
अगर आप यह व्रत कर रहे हैं तो सच्चे मन से करें और इसमें जितने भी नियम दिये गए हैं, उनका पालन करें।
जगत के पालनहार श्री हरि विष्णु सबका कल्याण करें | इसी आशा के साथ –
ॐ नमो भगवते वासुदेवाय नमः |
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