भारतीय वास्तुशास्त्र की प्राचीनता की मानिन्द ही चीन में फेंगशुई नामक वास्तु कला का इतिहास प्राचीनतम है | चीन में एक बहुत पुरानी कहावत प्रचलित है कि ‘सर्वप्रथम स्थान मनुष्य के प्रारब्ध का, दूसरा स्थान उसके भाग्य का तथा तीसरा स्थान फेंगशुई का है’ |
फेंगशुई का अर्थ है वायु और जल | फेंगशुई के अनुसार वायु और जल के सही उपयोग से ही मनुष्य का जीवन सार्थक हो सकता है | फेंगशुई का प्रमुख कार्य सम्बंधित स्थान का वातावरण सहज, स्वाभाविक और मानसिक स्तिथियों के लिए उपयोग व अनुकूल बनाना होता है | घर में रखा गया समस्त प्रकार का सामान व वस्तुएं हमारी विचारधारा, व्यक्तित्व पर सकारात्मक अथवा नकारात्मक प्रभाव अवश्य ही डालते है |
फेंगशुई सभी स्थानों में रहने वाले व्यक्तियों के लिए उपयोगी है | अपने घर व कार्यस्थली पर फेंगशुई का इस्तमाल कर के प्रकृति के साथ पूर्णतया सामंजस्य बैठा पाना सरलता से संभव है | इसके लिए कुछ नियमों का पालन तथा कुछ वस्तुओं का सावधानी पूर्वक प्रयोग अपेक्षित है |
१, नमक
यह ऊर्जा प्रदान करता है | यह वातावरण में एकरूपता बनाय रखने में भी सहायक होता है | किसी चीनी मिट्टी के बर्तन में नमक भरकर उसे घर के मुख्य प्रवेश द्वार के पास रखने से सकारात्मक ऊर्जा मिलती है | हर तीन हफ्ते में नमक अवश्य ही बदल लेना चाहिए |
२, मूर्ति
घर में पंचधातु की मूर्ती रखनी चाहिए | ‘हास्य के देवता’ अथवा गौतम बुद्ध की ध्यानमग्न प्रतिमा रखना भी लाभदायक है |
३,विंडचाईम्स
यह नकारात्मक ऊर्जा कम करके के सकारात्मक ऊर्जा को बढ़ाता है | संभव हो तो घर के प्रत्येक कमरे में इसको लटकाना चाहिए, नहीं तो कम से कम घर के मुख्य प्रवेश द्वार अथवा मुखिया के कमरे में तो इसे लटकाना चाहिए | यह घर में सुख शांति बनाये रखता है |
४, क्रिस्टल
रेशमी धागे में अथवा चेन में पिरोकर, घर में इसका उपयोग करने से धन-संपत्ति में वृद्धि होती है तथा घर के लोगो में मेलजोल बढ़ता है | टेलीफोन के ऊपर के मध्य भाग में क्रिस्टल लगाने से व्यवसाय से सम्बंधित काँल ज्यादा आने लग जाते है |
Vendita Levitra Free viagra United Pharmacy