आज चाय हमारी दिनचर्या का एक महत्वपूर्ण हिस्सा बन चुकी है | आज अधिकांश लोगों का यह मानना है कि बिना चाय के वह नहीं रह सकते अर्तात उन्हें खाना भले ही न मिले परन्तु चाय समय पर अवश्य मिलनी चाहिए | चाय न केवल हम सब के जीवन की बल्कि हमारे देश की सभ्यता का एक महत्वपुर्ण अंग बन चुकी है, यह धारणाएँ भी है कि घर आय महमान का स्वागत बिना चाय के अधूरा सा लगता है | जो लोग चाय से इतना स्नेह रखते है और समझते है कि चाय एक लाभकारी और स्फूर्तिदायक पदार्थ है, तो वह बिलकुल गलत है क्यों कि चाय कई विषैले पदार्थों से युक्त है जो कि स्वास्थय के लिए बहुत हानिकारक है |
वैज्ञानिकों के द्वारा चाय में जो प्रमुख विष पाय जाते है वह बहुत ही उत्तेज्नादायी होते है जिसका मस्तिष्क एवं शारीर में बहुत ही बुरा असर पड़ता है | आज जो ह्रदय और रक्तवाहिनियों के रोगों के मामले सामने आ रहे है इसका प्रमुख कारण चाय ही है | अगर शोधकर्ताओं की माने तो चाय का नशा मनुष्य के शरीर को अन्दर ही अन्दर दीमक की भाँती चाट जाता है |
वैज्ञानिकों द्वारा चाय में जो विषैले पदार्थ पाय जाते है वह कुछ इस प्रकार है :-
1. थीन
जब व्यक्ति चाय पीता है तो उसके पश्चात उसे एक हलके से आनंद की अनुभूति होती है जिसका कारण कुछ और नहीं बल्कि चाय में पाय जाने वाला विषैला पदार्थ थीन ही है | इसका मस्तिष्क में बहुत ही बुरा प्रभाव पड़ता है जो ज्ञान-तंतुओं को कमजोर कर देता है |
2. टेनिन
इस विषैले पदार्थ का दुश प्रभाव कुछ हद तक मदिरा से मिलता जुलता है क्यों कि जब व्यक्ति चाय पीता है तो उसे पह्ले टेनिन के असर से ताजगी महसूस होगी परन्तु कुछ ही देर के बाद जब इसका नशा उतर जाता है तो व्यक्ति को शारीर में थकावट सी महसूस होती है जिसके कारण उसके अन्दर और चाय पीने की इक्षा जाग्रत हो जाती है | यह विषैला पदार्थ शारीर में कब्ज को पैदा करता है और पाचन शक्ति को बिलकुल नष्ट कर देता है | यह पदार्थ के दुश प्रभाव के कारण लोग अनिद्रा जैसी बिमारी के भी शिकार हो जाते है | बहुत ही प्रसिद्ध डाक्टर जाँन हार्वे का कहना है कि जब चाय का सेवन अधिक मात्रा में किया जाता है तो इसमें मौजूद टेनिन एसिड के कारण पेट गड़बड़ रहने लगता है और यह तो हम सब जानते है कि बहुदा बिमारी का कारण पेट का सुचारो रूप से कार्य न करना ही होता है |
3. कैफीन
शोधकर्ताओं की माने तो यह एक महाभयंकर विष है इसका प्रभाव तंबाकू या शराब में पाय जाने वाले विष निकोटीन के समान होता है | यह शारीर को निर्बलता देता है जिसके कारण शारीर खोकला हो जाता है | यह दिल की धड़कन को बढ़ाता है और कई बार अधिक मात्रा में सेवन के कारण एकदम से धड़कन रोक देता है तथा व्यक्ति की मृत्यु हो जाती है | वैज्ञानिकों का मानना है कि इस विष के कारण मूत्र की मात्रा में लगभग तिन गुनी वृद्धि आ जाती है | जैसा कि हम जानते है कि मूत्र के द्वारा शारीर का दूषित मॉल बाहर निकल जाता है परन्तु चाय के इस विषैले पदार्थ के कारण वह बाहर नहीं निकलता बल्कि शारीर में ही राह जाता है जिसके दुश प्रभाव से गुर्दा, गठिया दर्द और ह्रदय सम्बंधित रोगों का शिकार होना पड़ता है | व्यक्ति जो चाय का वशीभूत हो कर उसका आदि हो जाता है उसका कारण सिर्फ और सिर्फ यह महाभयंकर विष कैफीन ही है |
जैसा की पाया गया है कि जादा चाय पीने वालों में जो मुख्या बिमारी पायी जाती है वह बाड़ी, पेट फूलना, पेट दर्द, कब्ज, ह्रदय के चलने में अनियमतता, बदहजमी और नींद का न आना आदि है | आज अधिकांश व्यक्ति चाय के नशे के वशिभूत है बिना यह जाने कि इसके क्या दुश परिणाम हो सकते है लेकिन चाय के विनाशकारी अवगुणों का अवलोकन कर इसे तुरंत छोड़ देना ही उचित है |
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