हमारे भवन के आसपास ऐसे कई वृक्ष और पौधे लगे होते है जो हमपर और भवन में रहने वालों पर प्रभाव डालते है | अशोक, कटहल, केतकी, चमेली, नारियल, महुआ, वटवृक्ष, सागौन आदि वृक्ष और पौधे शुभ फल देने वाले होते है किन्तु इसके दूसरी ओर पीपल, आम, नींबू, अनार हर्रा, बहेड़ा, इमली, बेर, खजूर एवं बेलपत्ती के वृक्ष घर के पास अशुभ फल देते है | घर के पास कटीले एवं दूध निकालने वाले पौधे अत्यधिक नुक्सान देते है | इनका शुभ-अशुभ फल इनके दिशाओं और भवन-प्रांगड़ में इनकी स्थिति पर भी निर्भर करता है |
दिशा सम्बंधित वास्तु द्रष्टिकोण
१, पूर्व में पीपल का वृक्ष हो तो यह भय देता है | आग्नेय (दक्षिण-पूर्व) कोण में यह पीपल का वृक्ष पीड़ा एवं मृत्यु देने वाला होता है | किन्तु पश्चिम दिशा में यह वृक्ष शुभ फल देता है |
२, पूर्व में बरगत का पेड़ सर्वसिद्धि एवं मनोकामना को पूर्ण करने वाला होता है |
३, पश्चिम दिशा में आम, निर्गुन्डी, कैथ और अगस्तक का पेड़ धन का नाश करता है | वटवृक्ष अगर घर के पश्चिम दिशा में हो तो घर को छोड़ना पड़ता है | स्त्रियों एवं कुल का नाश होता है |
४, आग्नेय (दक्षिण-पूर्व) कोण में पाकर, गूलर, पीपल और सेमल का पेड़ पीड़ा एवं अशुभ परिणाम देने वाला होता है और यह मृत्यु तुल्य कष्ट प्रदान करता है | किन्तु आग्नेय दिशा में अनार का पेड़ शुभ फल देने वाला होता है क्योकि इसका फल, फूल एवं बीज सभी लाल रंग के होते है जो की अग्नि का रंग है |
५, दक्षिण दिशा में यदी आम, निर्गुन्डी, पाकर और कैथ का वृक्ष होतो यह धन का नाश करता है |
६, नैरत्य (दक्षिण-पश्चिम) कोण में लम्बे वृक्ष जैसे अशोक, जामुन और पीपल शुभ फलदायी होते है |
७, वायव्य (उत्तर-पश्चिम) कोण में बेल का वृक्ष लगाना शुभ फल देता है और यह वास्तु दोषों को दूर भी करते है |
९, उत्तर दिशा में यदि गूलर का वृक्ष लगा हो तो नेत्र एवं नजला रोग देता है | किन्तु दक्षिण में गूलर का वृक्ष शुभ फलदायी होता है |
१०, ईशान (उत्तर-पूर्व) दिशा में वैसे तो कोई वृक्ष नहीं होना चाहिये इससे विकास एवं उन्नति में बाधा आती है लेकिन आवले का वृक्ष शुभ फल देता है | अगर ईशान दिशा में पूर्व दिशा की ओर आम और कटहल का वृक्ष लगा हो तो शुभ फल देता है | फिर भी ध्यान रखे कि पूर्व और ईशान में कोई वृक्ष न हो तो जादा हितकारी है क्योकि सूर्य उदय के समय सीधी धूप घर में प्रवेश करती है जो की अत्यधिक लाभदायक होती है |
भवन में वृक्षों की स्थिति समन्धित वास्तु दृष्टिकोण
१, भवन में स्थित कांटे वाले पौधे शत्रु का भय देते है और अगर घर में ऐसा पौधा हो जिससे दूध निकलता हो, स्थित है तो स्त्रियों को कष्ट और संतानों को भी पीड़ा देता है और धन का नाश होता है | इन वृक्षों की लकड़ियाँ भी घर में नहीं लगाना चाहिये वर्ना बुरे परिणाम भोगने पड़ते है | दूध एवं कांटे वाले वृक्ष अगर घर में हो तो इन्हें काट देना ही बेहतर है और अगर काटा न जा सके तो इनके बाजू में शुभ फल देने वाले वृक्ष या पौधा लगा देना चाहिये | वृक्ष भी संतान प्राप्ति में बाधा बनते है इसे ध्यान में रखना चाहिये |
२, पीपल, कदम, केला और नीबू का वृक्ष जिन घरो में होते है उनमे रहने वालों की वंश वृद्धि नहीं होती | संतान प्राप्त नहीं होती या होती भी है तो कमजोर दिमाग से ग्रसित होती है |
३, बेर, केला, अनार और नीबू जिस घर में होते है, उन घरों में रहने वालों का विकास नहीं होता अर्थात गरीबी और अभाव में जीवनयापन करना पड़ता है | मालती, कपास इमली, श्वेता और अपराजिता का वृक्ष जिस घर में होता है वहां का प्रत्येक पुरुष एवं स्त्रियाँ गुंडागर्दी और हथियारबाजी में अग्रेषित रहते है और हथियारों के द्वारा मारे जाते है अर्थात योजनाबद्ध तरीके से या साजिश से मारे जाते है |
४, अपराजिता की जड़ अपनी टोपी में लगाकर कोर्ट कचहरी में जाने से विजय प्राप्त होती है | दुश्मन भी आपकी बात को मानने लगता है | इसे प्रयोग करते समय अगर अपनी शर्ट की जेब में रखना काफी फायदेमंद होता है |
५,आग्नेय, दक्षिण, नैरत्य दिशा में बगीचा बनाने से भवन स्वामी के पतन का कारण बनता है | धन और पुत्र की हानि होती है, बदनामी और नाश होता है | भवन स्वामी भ्रष्ट रास्तो में चलने लगता है और शत्रु बढ़ते है |
६, यदि पीपल का वृक्ष घर के समीप हो तो उसकी सेवा एवं पूजा करनी चाहिये, क्योकि उसे काट के अलग नहीं किया जा सकता | नारी को दूर रहना चाहिये और भवन स्वामी को प्रतिदिन जल चढ़ाना चाहिए |
७, यदि सूर्यास्त के समय किसी वृक्ष या मंदिर की छाया घर पर पड़े तो यह बहुत अशुभ रहता है तथा गृहस्वामी सदा रोग से पीड़ित रहता है |
८, पपीते का वृक्ष भवन-प्रांगढ़ में नहीं लगाना चाहिये क्योकि यह पुत्र एवं गर्भवती स्त्रियों के लिए बहुत नुकसानदायक होता है |
९, नीम का पेड़ भवन में नहीं लगाना चाहिये क्योकि यह आक्सीजन ग्रहण करता है और कार्बनडायओक्साइड छोड़ता है |
१०, भवन में कभी भी शमी का वृक्ष नहीं लगाना चाहिये क्योकि इसमें भूत-प्रेत निवास करते है | केवल विजय दशमी के दिन इसका पूजन एवं दर्शन करना चाहिये | धार्मिक ग्रंथो में भी इस वृक्ष के महत्व के बारे में बहुत कुछ बताया गया है | इसे पवित्र वृक्ष भी मानते है किन्तु इसे भवन में लगाना अत्यधिक हानिकारक है |
११, भवन में तुलसी का पौधा अत्यधिक लाभकारी होता है अतः इसे क्यारी में लगाना चाहिए | इसके पत्ते आंत रोगों को दूर करते है | किसी भी परिस्थिति में इसका पौधा घर के दक्षिण या नैत्रत्य कोण में नहीं होना चाहिए अन्यथा यातना भोगनी पड़ सकती है | गृहस्वामी को लांछित होना पड़ सकता है |
१२, चन्दन का वृक्ष भवन प्रांगढ़ में नहीं लगाना चाहिए क्योकि यह अनावश्यक खर्चे करवाता है | यह वृक्ष विषैले सर्पों का निवास भी होता है | माना जाता है कि इनकी अत्यधिक सुगंध होने के कारण विषैले कीट इनकी तरफ आकर्षित होते है और निवास करने लगते है | पिशाच-भूत भी अपना घर बना लेते है | इसकी सुगंध मन हर लेने वाली होती है जो व्यक्ति के मन को हर लेती है और व्यक्ति अपने लक्ष्य से भटक जाता है |
१३, छोटी केलि का झाड़ लगाना चाहिए जिसके गुलाबी पुष्प होते है | यह मन को प्रसन्न, अच्छे संबंध और मन में प्रेम उत्पन्न करने वाली होती है | इसकी टहनी को बैठक में टेबल पर सजाना बहुत लाभकारी होता है |
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