हम सब यह जानते है कि सर्प एक ऐसा जीव है जिसका नाम सुनते ही अधिकांश लोगों के शरीर में सनसनाहट सी दौड़ जाती है | भारत एकमात्र ऐसा देश है जहां पर यह जीव लीगों की धार्मिक आस्थाओं से भी जुड़ा है | लोगों के दिल में सर्प के प्रति दहशत इसलिए रहती है क्योकि अधिकांश लोग यह मानते है कि सर्प बहुत विषैले होते है और इनके काटने से व्यक्ति की मृत्यु हो जाती है | लेकिन ऐसा नहीं है, विष के अनुसार सर्प दो प्रकार के होते है (१) विषैला , (२) विषहीन | अधिकांश सर्प विषहीन होते है और जब यह विषहीन सर्प किसी को काटता है तो हल्का सा नशा मात्र होता है और चक्कर आने लगता है परन्तु कुछ व्यक्ति सर्प के काटने पर दहशत के कारण मर जाते है | अगर हम बात करें विषैले सर्पों की तो इनमे गेहुंअन और करैत बड़े खतरनाक होते है | अगर इन्हें कोई क्रोधित करे तो यह फन फैलाकर खड़े हो जाते है | इनके जबड़े के उपरी भाग में विष के दो दाँत होते है जो कि आधे-एक इंच की दूरी में रहते है | इन दाँतों की जड़ में विष की ग्रंथियां होती है |
कहा जाता है कि जब कोई भी सर्प क्रोधित होता है तो उसका विष सारे शारीर से खिंचकर विश्ग्रंथियों में आ जाता है और जब वह सर्प किसी व्यक्ति को काटता है तो यही विष उसके दाँतो से होता हुआ उस व्यक्ति के शारीर में प्रवेश कर जाता है | यह भी कहा जाता है कि जब नर-सर्प किसी को काटता है तो रोगी ऊपर की ओर देखता है और अगर मादा-सर्प काटे तो रूगी निचे की ओर देखता है | जैसा की पहले बताया गया है कि अधिकांश सर्प विषहीन होते है परन्तु उनके काटने पर व्यक्ति के भ्रममात्र से घबराहट होने लगती है और उसकी मृत्यु हो जाती है | तो प्रश्न यह उठता है कि हम कैसे पहचाने कि जिस सर्प ने काटा है वह विषैला है भी या नहीं ? तो इसकी पहचान यह है कि जब कोई विषहीन सर्प किसी को काटता है तो (u)- के आकार का चिन्ह बनता है और जब विषैला सर्प किसी को काटता है तो (. .)- के प्रकार का चिन्ह बनता है | कहा जाता है कि सर्प जितना विषैला होता है लक्षण भी उतने ही तीव्र और शिग्र उत्पन्न होते है जिसका असर घंटे भर के भीतर आरम्भ हो जाता है और अगर इसका सही उपचार जल्दी न किया जाए तो व्यक्ति की मृत्यु हो जाती है | तो आइये जानते है कि शारीर में विभिन्न प्रकार के लक्षणों के बारे में जो की एक विषैले सर्प के काटने में उत्पन्न होते है |
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