सुषुमणास्वर

योग, जप, प्रार्थना एवं भजन के समय सुषुमणास्वर (दोनों स्वर का चलना) के चलते समय किया जाय तो बहुत अच्छा माना गया है | कहा जाता है कि ऐसा करने से योग, जप और प्रार्थना जल्दी सिद्ध होते है |
स्वरों से सम्बंधित कुछ विशेष नियम
१,
सुबह उठते ही देख लें कि कौन-सा स्वर चल रहा है तथा उसी तरफ की हथेली दर्शन कर उसी तरफ के आँख, गाल और मुँह का स्पर्श करें एवं बिस्तर से उतारते वक्त उसी तरफ का पैर पहले जमीं पर रखें तो दिन शुभ होगा |
२,
भोजन के बाद चित्त लेट कर कुछ समय तक श्वास लें और उसके बाद दायीं (right side) तरफ लेटकर 16 बार श्वास लें तो भोजन का पाचन अच्छी प्रकार से होता है एवं पाचन क्रियातंत्र मजबूत होता है |
३,
जब भी आप किसी शुभ कार्य हेतु घर से निकलें तो देख लें कि किस तरफ का स्वर चल रहा है उसके बाद निकलते वक्त उसी तरफ का पैर घर से बाहर जाते समय पहले निकालें तो कार्य सिद्ध होता है |
४,
इन्ही स्वर के माध्यम से अचानक उठने वाला दर्द भी दूर किया जा सकता है उसका यह उपाय है कि जब भी कोई दर्द अचानक से उठे तो जो स्वर चल रहा हो उसे बदल लें तो तत्काल राहत मिल जाएगी |
इच्छित अनुसार स्वर चलाने का नियम
आपको नियम अनुसार अगर जिस तरफ का स्वर चलाना हो तो उसके उलटी (विपरीत) तरफ करवट लेकर दो से चार मिनट आँख बंद कर के लेट जाएं तो इच्छित स्वर चलने लगता है |